BMC Elections
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मुंबई: महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्त टिप्पणी किए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में बरकरार रहने वाले एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) ने ‘मुंबई मिशन’ (Mission Mumbai) पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए अत्यंत अहम मानी जाने वाली मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर कब्जे की तैयारी की रणनीति बनाई जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्वयं मैदान में उतरने वाले हैं। 

उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग तीन दशक से मुंबई महानगरपालिका पर शिवसेना की सत्ता है। पिछले जून में उद्धव ठाकरे से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे के सामने लोकसभा चुनाव के पहले बीएमसी सहित अन्य नगर निगम चुनावों की परीक्षा भी है। इसमें सबसे बड़ा टास्क बीएमसी पर कब्जे का है।  

मुंबई में ताकत बढ़ाने का प्रयास

सत्ता के साथ संगठन के कार्य में माहिर माने जाने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुंबई में अपनी ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। वे ज्यादातर मुंबई का कोई कार्यक्रम नहीं छोड़ते। शहर के विभिन्न छोटे बड़े कार्यक्रमों में वे मुंबई में चल रही इंफ़्रा योजनाओं की जानकारी देना नहीं भूलते। पिछले दिनों सीएम ने कोस्टल रोड को छत्रपति संभाजी रोड का नाम देने की घोषणा कर उद्धव ठाकरे की राजनीति का जवाब भी दिया। इसके अलावा शिंदे गुट की शिवसेना ने पूर्व नगरसेवकों के साथ बैठकें शुरू की है। 

कुछ लोग बदल सकते हैं पाला

वैसे मुंबई में शिंदे शिवसेना की ताकत काफी कम है। उद्धव ठाकरे गुट के साथ 95 पूर्व नगरसेवक हैं, जबकि शिंदे गुट के साथ 10 पूर्व पार्षद हैं। चर्चा है कि जैसे ही बीएमसी चुनाव की घोषणा होगी, उसके पहले उद्धव गुट के लोग पाला बदल कर शिंदे के साथ आ सकते हैं। सीएम  शिंदे ने सिर्फ उद्धव गुट ही नहीं बल्कि कांग्रेस एनसीपी के असंतुष्ट लोगों की तलाश के लिए अभियान शुरू कर दिया है।

हर वार्ड में योजनाओं का मेला

चर्चा है कि मुख्यमंत्री शिंदे ने उद्धव ठाकरे को शह देने की रणनीति के तहत ही हर वार्ड में सरकारी योजनाओं का मेला लगाने का निर्देश दिया है। सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वार्ड के आम नागरिक तक पहुंचे और उनका लाभ हो, इस उद्देश्य से सरकार ने सीधे मुंबई के वार्डों तक जाने की तैयारी की है। शिवसेना की ओर से अब मुंबई में त्योहारों के हिसाब से तरह-तरह की गतिविधियां कराई जाने वाली हैं। इसके अलावा  बालासाहेब ठाकरे आपला दवाखाना बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना आगामी बीएमसी चुनाव बीजेपी के साथ मिल कर लड़ने वाली है। कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की हार से मुंबई में भी कार्यकर्ता जरुर मायूस हुए हैं। मुंबई महानगरपालिका पर तो सभी दलों की निगाहें हैं। मुंबई में भी एमबीए की एकजुटता मुख्यमंत्री शिंदे के साथ बीजेपी के लिए भी बड़ी चुनौती साबित होगी। इसे देखते हुए सीएम शिंदे ने स्वयं ‘मिशन मुंबई’ पर फोकस किया है।