vande bhart ghat

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    मुंबई: शुक्रवार का दिन रेलवे के इतिहास (History) में अनोखा दिन साबित हुआ जब देश के दो अत्यंत कठिन और पुराने रेल घाट से बिना बैंकर के दो वंदे भारत ट्रेनें (Vande Bharat Trains) यात्रियों को लेकर गुजरीं। भारतीय रेलवे (Indian Railway) के 150 से अधिक वर्षों के इतिहास में पहली बार, कोई ट्रेन अतिरिक्त इंजन के बगैर देश के सबसे मुश्किल घाट सेक्टर पर यात्रियों के साथ चढ़ गई। 

    शुक्रवार को सीएसएमटी (CSMT) से दो वंदे भारत ट्रेनों को पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाई। इनमें एक ट्रेन सह्याद्रि पर्वत श्रेणी के सबसे पुराने भोर रेल घाट से होते हुए सोलापुर गई और दूसरी 14 किमी के कसारा-इगतपुरी खंड पर थल घाट को पार करते हुए शिर्डी के लिए चलाई गई। यह पहला मौका था, जब दोनों सेमी हाईस्पीड ट्रेनें  बैंकर लोकोमोटिव के बिना घाट पर आसानी से दौड़ लगाती नजर आईं।

    25 किलो मीटर लंबा है भोर घाट

    रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, सहयाद्री पर्वत श्रृंखला में भोर घाट और थल घाट काफी ऊंचाई पर घुमावदार हैं। इन घाटों से यात्री या मालगाड़ी ट्रेनों को चलाते समय पीछे से एक और इंजन लगाया जाता है। इन बैंकरों से उच्च ढाल वाले घाट में ट्रेनों को पीछे से धकेला जाता है।  इसके साथ ढलान के समय भी सुरक्षा के लिए बैंकर का उपयोग होता है। कुछ ट्रेनों में तो दो दो बैंकर लगाने पड़ते हैं। लगभग 25 किलोमीटर लंबा भोर घाट (जिसे खंडाला घाट भी कहा जाता है) कर्जत और खंडाला स्टेशनों के बीच है,जबकि 14 किमी लंबा थल घाट जिसे कसारा घाट कहा जाता है। दोनों घाटों में कई सुरंगें हैं।

    1:37 की ढाल

    1:37 की ढाल का अर्थ है कि इन घाट पर प्रत्येक 37 मीटर पर ट्रैक की ऊंचाई में एक मीटर की वृद्धि होती है, भोर और थल घाट दोनों एशिया में सबसे खड़े और घुमावदार रेलवे घाट में से एक हैं। इसलिए मालगाड़ी हो या यात्री ट्रेन, इन घाटों से गुजरने वाली सभी ट्रेनों को मुंबई की ओर से अतिरिक्त लोकोमोटिव (जिन्हें बैंकर्स कहा जाता है) द्वारा खींचा जाता है, लेकिन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन अपवाद साबित हुई है। इसके पहले वंदे भारत के खाली रैक्वका परीक्षण इन घाट पर किया गया। परीक्षणों के दौरान वंदे भारत बिना बैंकरों के दोनों घाटों से होकर सफलतापूर्वक चढ़ी और उतरी। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शुरू में लोको पायलट घाट में इस अत्याधुनिक ट्रेन को दौड़ाने में झिझक रहे थे, लेकिन ट्रेन की अत्याधुनिक तकनीक को समझने के बाद आसानी हो गई।

    लगाए गए हैं पार्किंग ब्रेक

    रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने को बताया कि दोनों मार्गों पर चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों के वैकल्पिक डिब्बों में पार्किंग ब्रेक लगाए गए हैं, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि ट्रेन के अलग होने या घाट पर बिजली गुल होने जैसी किसी भी स्थिति में ट्रेनें नीचे नहीं उतरगी। वंदे भारत ट्रेनें ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) की तरह दोनो तरफ पॉवरफुल मोटर इंजन वाली और वजन में हल्की हैं। यह तय हो गया है कि कठिन घाट पर इन्हें बिना बैंकर आसानी से चलाया जा सकता है। 

    सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रेन

    वंदे भारत एक्सप्रेस 16 कोचों की स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई सेमी हाई-स्पीड सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रेन सेट है। ट्रेन केवल 140 सेकंड में 160 किमी प्रति घंटे की गति पकड़ लेती है,फिलहाल इसे 100 से 110 तक की रफ्तार से चलाया जा रहा है। यात्रियों के लिए बेहतर सीटें, एयर कंडीशनिंग की निगरानी के लिए एक नियंत्रण प्रबंधन के साथ हर कोच में यात्री सूचना प्रणाली है। स्लाइडिंग फुटस्टेप्स के साथ स्वचालित प्लग दरवाजे और कोच के अंदर टच लाइट, स्लाइडिंग और प्लेन की तरह बायो-वैक्यूम शौचालय हैं। ट्रेन ‘कवच’ से भी लैस है,जो एक ट्रेन की सुरक्षा से जुड़ी अत्याधुनिक बचाव प्रणाली है।

    वंदे भारत का आकर्षण

    मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई के आईसीएफ में बनी वंदे भारत ट्रेन को लेकर गजब का आकर्षण दिखाई दिया। शुक्रवार को जब पहली बार मुंबई से ट्रेन चली तो जगह जगह स्टेशनों पर भव्य स्वागत हुआ। शिर्डी के लिए रवाना हुई वंदे भारत के स्वागत में दादर से लेकर कल्याण, कसारा, इगतपुरी, नासिक, मनमाड में बड़ी संख्या में बच्चों ने तिरंगे झंडे लेकर प्लेटफॉर्म पर खड़े दिखाई दिए। स्टेशनों पर वंदे भारत के साथ सेल्फी लेने की होड़ मची हुई थी। लोग किसी भी तरह ट्रेन के अंदर आकर नजारा देखना चाह रहे थे। यात्रियों में खुशी का माहौल था। एक यात्री शिवशंकर मिश्र ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जो कहा वह करके दिखा रहे हैं। नए भारत की ट्रेन का यात्री स्वागत ही कर रहे हैं।

    शिर्डी स्टेशन पर जश्न का माहौल

    शुक्रवार की देर शाम पहली बार साईं नगर शिर्डी स्टेशन पहुंची वंदे भारत ट्रेन का भव्य स्वागत किया गया। बीजेपी सांसद सुजय बिखे पाटिल अपने कार्यकर्ताओं के साथ वंदे भारत के यात्रियों का स्वागत करते नजर आए। ढोल ताशों और नगाड़ों के साथ स्टेशन पर शिर्डी स्टेशन पर जश्न का माहौल नजर आया। लगभग 5.30 घंटे में ट्रेन मुंबई से शिर्डी पहुंची, जबकि वंदे भारत को सोलापुर पहुंचने में लगभग 6.30 घंटे लगे।