Ajit Pawar and Sharad Pawar
अजित पवार और शरद पवार

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मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति इस समय उठा पटक के दौर से से गुजर रही है। राज्य की दो बड़ी पार्टियों में फूट देखने को मिली है। ऐसे में अगर बात सिर्फ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की करें तो शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) की लड़ाई में किस पार्टी को फायदा होगा? इस पर चुनावी जानकारों की बहस चल रही है। बीते दिनों अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) पर अपना वर्चस्व होने का दावा किया और शरद पवार से वह अलग हो गए। इसके बाद पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह किसके पास रहेगा इसका फैसला चुनाव आयोग के हाथ में है। 
 
आगामी चुनाव में NCP को होगा नुकसान !
चाचा भतीजे की इस लड़ाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को आने वाले चुनाव में बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा इस बात का साफ संकेत मिल रहा है और चुनावी जानकारी का भी यही कहना है। महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीट हैं और उसमें अगर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हिस्से की अगर बात की जाए तो पिछले चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 53 सीट मिली थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विधानसभा की कुल सीटों के एक तिहाई के हिस्से से भी काफी दूर है। 
 
 
एनसीपी के कठिन है आने वाला समय  
लेकिन 53 सीट भी कम नहीं होती यह चुनावी गणित को बिगाड़ और बना सकती है और ऐसा ही कुछ खेल उद्धव ठाकरे वाले सरकार के गठन में देखने को भी मिला था। वोटिंग परसेंटेज कि अगर बात की जाए और चुनावी जानकारों की अगर बात मानी जाए तो आने वाला समय राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए कठिन साबित होगा। यानी पिछले चुनाव के प्रदर्शन से अगर तुलना की जाए तो आने वाले चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहने वाला है। 
 
 
चाचा भतीजे की लड़ाई में कांग्रेस को होगा फायदा !
चुनावी जानकारी का यह मानना है कि आने वाले सभी चुनावों में शरद पवार और अजित पवार दोनों की ही पार्टी के प्रत्याशी एक दूसरे के सामने होंगे तो ऐसे में इन दोनों की लड़ाई में फायदा तीसरी पार्टी को होगा जानकारों का यह भी मानना है कि अजित पवार और शरद पवार की इस लड़ाई में फायदा कांग्रेस (Indian National Congress) को होगा।
 
सटीक होगा जानकारों का अंदाजा या कुछ और ही होगा नतीजा ? 
क्योंकि जानकारों के मुताबिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी का जन आधार लगभग एक जैसा है। ऐसे में जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ते मतदाता देख रहे हैं तो उनका विश्वास कांग्रेस के प्रति मजबूत हो रहा है और यह फैक्टर आने वाले चुनाव में नजर भी आ सकता है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में जनता का फैसला क्या होता है? क्या चुनावी जानकारों का अंदाजा सटीक बैठता है या फिर नतीजा कुछ और ही आता है।