(Image-Twitter)
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    -तारिक़ खान

    मुंबई: महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने मंगलवार को मुंबई पुलिस (Mumbai Police) विभाग में कार्यरत जोन-2 के पुलिस उपायुक्त और 2010 बैच के वांटेड आईपीएस अधिकारी सौरभ त्रिपाठी (IPS Saurabh Tripathi) को निलंबित (Suspended) कर दिया है। मुंबई पुलिस विभाग ने 9 मार्च को त्रिपाठी को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के गृह विभाग को भेजा था और 22 मार्च को निलंबन आदेश पर संयुक्त सचिव (गृह) वेंकटेश भट्ट ने दस्तखत किया।

    परमबीर के बाद त्रिपाठी दूसरे आईपीएस अधिकारी है जिन्हें ड्यूटी में कथित लापरवाही के लिए सेवा से निलंबित किया है और इसके साथ ही जबरन वसूली के आरोप का सामना कर रहे वांटेड त्रिपाठी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है। सौरभ त्रिपाठी को आंगड़िया व्यापारियों से उगाही केस में आरोपी बनाया गया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद से त्रिपाठी फरार है और गिरफ्तारी से बचने के लिए इन्होंने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। जिस पर बुधवार (आज) को सुनवाई होनी है, जबकि क्राइम ब्रांच अधिकारी के अनुसार जांच टीम जमानत अर्जी का विरोध करेगी। 

    क्या है निलंबन आदेश में 

    राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि 2010-बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम 1969 की धारा 3 और 4 के तहत निलंबित कर दिया गया है।जबकि सौरभ त्रिपाठी के खिलाफ अनियमितताओं और कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करने के मामले में अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है। डीसीपी त्रिपाठी को जोन-2 से ऑपरेशन के पद पर ट्रांसफर करने के आदेश के बाद से वो अपने वरिष्ठ अधिकारियों और वह राज्य सरकार को बगैर मेडिकल और जानकारी दिए छुट्टी पर चल रहे थे। इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि निलंबन की अवधि के दौरान त्रिपाठी मुंबई के पुलिस आयुक्त की अनुमति के बिना अपने मुंबई पुलिस मुख्यालय के कार्यालय को बिना अनुमति के नहीं छोड़ पाएंगे।

    निर्वाह भत्ता के लिए देना होगा बेरोज़गारी का प्रमाण 

    निलंबन आदेश के अनुसार, निलंबन की अवधि के दौरान सौरभ त्रिपाठी को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम,1969 के नियम 4 के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ता,महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते का भुगतान किया जाएगा, लेकिन इसके लिए उनको प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय या पेशे में लगे हुए नहीं हैं। 

    गवाह पर दबाव बनाने का आरोप   

    आदेश में आगे कहा गया है कि यह देखा गया है कि डीसीपी त्रिपाठी ने एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन में आंगड़िया उगाही में दर्ज प्राथमिकी के गवाह पर दबाव बना रहे हैं। 

    निचले स्तर के पुलिसकर्मियों पर नियंत्रण नहीं 

    त्रिपाठी पर अपने कार्यकाल के समय निचले स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं होने और भ्रष्टाचार में बढ़ावा देने और वह खुद  भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप भी आदेश में लगा है। 

    आंगड़िया व्यापारी करेंगे जेल में आरोपियों पुलिस वालों की पहचान परेड 

    37वें मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस. बी. भाजीपाले ने सोमवार को जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि गिरफ्तार तीन निलंबित पुलिसकर्मियों की आर्थर रोड जेल में क्राइम ब्रांच को एक पहचान परेड (आईपी) आयोजित करने की अनुमति दी जाए जो कथित आंगड़िया जबरन वसूली रैकेट में गिरफ्तार है। पुलिस ने कहा कि पहचान परेड के दौरान शिकायतकर्ता आंगड़िया उन आरोपी पुलिसकर्मियों की पहचान करेंगे, जिन्होंने उनसे रंगदारी वसूली की थी।

    त्रिपाठी को इनकम टैक्स और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का सामान करना पड़ेगा 

    जांच टीम के अनुसार, अगर बिचौलिए का बयान सच पाया जाता है, तो त्रिपाठी को आयकर अधिकारियों के साथ-साथ राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि पुलिस ने बिचौलिए से 1.5 लाख रुपए भी बरामद किए, जिसने दावा किया है कि उसने त्रिपाठी के इशारे पर पहले 5 लाख रुपए लखनऊ भेजे थे।

    क्या है पूरा मामला

    क्राइम ब्रांच के अनुसार, आंगड़िया एसोसिएशन ऑफ भुलेश्वर ने पिछले साल 7 दिसंबर को मुंबई पुलिस के एडिशनल पुलिस कमिश्नर (साउथ-रीजन) दिलीप सावंत से लिखित शिकायत की थी कि जोन-2 के पुलिस उपायुक्त और आईपीएस अधिकारी सौरभ त्रिपाठी ने आंगड़िया व्यापारियों को उनका काम सुचारू रूप से चलाने के लिए 10 लाख रुपए की मासिक रिश्वत की मांग की थी और इनके ही कहने पर लोकमान्य तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में तैनात तीन पुलिस अधिकारी आंगड़िया व्यापारियों से एक्सटॉर्शन वसूली करते थे।