mithi river

    Loading

    मुंबई: बीएमसी (‍BMC) ने बाढ़ (Flood) को रोकने के लिए मीठी नदी (Mithi River) में 28 फ्लडगेट (Floodgate) लगाने का फैसला किया है। बीएमसी प्रशासन को भरोसा है कि ऐसे फ्लडगेट्स से बाढ़ के पानी को, जैसे बांध के पानी को नियंत्रित किया जाता है, कंट्रोल किया जा सकेगा। गौरतलब है कि 17.8 किमी लंबी मीठी नदी बोरीवली (Borivali) में विहार झील से निकलती है जो माहिम खाड़ी से होते हुए बांद्रा (Bandra) के अरब सागर में गिरती है। हर साल मानसून (Monsoon) के दौरान नदी का जल स्तर काफी बढ़ जाता है जिससे सायन (Sion), चूनाभट्टी (Chunabhatti), कुर्ला (Kurla) और घाटकोपर (Ghatkopar) जैसे निचले इलाकों में पानी का जमाव हो जाता है। 

    पिछले कुछ सालों में ऐसी स्थितियां हुई हैं कि इन इलाकों में एनडीआरएफ की टीम उतरनी पड़ी और प्रभावितों को नाव बचाना पड़ा। पिछले पांच सालों से लगातार इस क्षेत्र में मानसून में भारी बारिश के दौरान बाढ़ जैसे हालात का होना आम बात हो गया है। मीठी नदी में आई बाढ़ ने भी रेल यातायात को बाधित कर दिया।

    बाढ़ का पानी होगा कंट्रोल

    बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि नदी में 28 फ्लडगेट लगाने से रिहायशी इलाकों और रेलवे ट्रैक में पानी के बहाव को रोकने में मदद मिलेगी। अधिकारियों ने कहा कि माहिम खाड़ी से शुरू होने वाले ज्वारीय क्षेत्र में फ्लडगेट स्थापित किए जाएंगे और खाड़ी से मुंबई के उपनगरों तक 8 किमी गहराई तक जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि मीठी नदी संकरी है और हमारे पास पारंपरिक पंपिंग स्टेशनों के साथ पैरलल फ्लडगेट स्थापित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए हमने वर्टिकल फ्लडगेट स्थापित करने का फैसला किया है जो कम जगह का उपयोग करेंगे और उद्देश्य को पूरा करेंगे।

    विदेशी कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी

    बरसात के मौसम में हाई टाइड के दौरान इन फाटकों को अतिरिक्त पानी निकालने के लिए लगाया जाएगा। जापान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी की तीन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इन फाटकों को खड़ा करने और बनाए रखने में रुचि दिखाई है। अतिरिक्त कमिश्नर वेलारासू ने बताया कि उन्होंने तकनीकी रूप से इस परियोजना की प्रस्तुति महानगरपालिका को दिखा दी है। 

    परियोजना के लिए 1,600 करोड़ रुपए के बजट का अनुमान 

    ठेकेदारों की अंतिम नियुक्ति उचित निविदा के माध्यम से की जाएगी और परियोजना के लिए निविदाएं अगले 15 दिनों में जारी की जाएगी। बीएमसी ने परियोजना के लिए 1,600 करोड़ रुपए के बजट का अनुमान लगाया है। इस परियोजना की प्राथमिक चुनौतियों में से एक नदी के किनारे की मलिन बस्तियां हैं। उन मलिन बस्तियों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी होगी। 

    अब तक 1150 करोड़ खर्च

    पिछले हफ्ते आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए जवाब में मीठी नदी विकास और संरक्षण प्राधिकरण ने बताया था इस नदी पर अब तक 1150 करोड़ खर्च किए गए हैं। प्राधिकरण ने बताया कि मुख्यमंत्री और मीठी नदी विकास और संरक्षण प्राधिकरण के बीच में 6 बैठकें हुई जबकि प्राधिकरण और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 11 बैठकें की गई। अनिल गलगली ने आरोप लगाया था कि सरकार ने इसकी ओर से मुंह फेर लिया है और इसलिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इस तरह के अहम प्रोजेक्ट पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।