लॉकडाउन ने बदल दी जीवन शैली

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– सभाओं के लिए करनी पड़ती थी मशक्कत, अब वर्चुअल रैली

मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर पिछले सवा तीन माह से चल रहे लॉकडाउन ने लोगों की जीवनशैली ही बदल दी है. मुंबई के प्रमुख उत्तर भारतीय नेता एवं पूर्व विधायक राजहंस सिंह लॉकडाउन के पहले तक हर किसी के दुःख, सुख में सबसे आगे पहुंचते थे. लेकिन पिछले 3 माह से घर पर ही रह कर राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं. रविवार की शाम केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वर्चुअल रैली है.जिसकी तैयारी में जुटे राजहंस सिंह से हमारे प्रतिनिधि ने लंबी बातचीत की प्रस्तुत है प्रमुख अंश.

 इस कोरोना काल को किस तरह देख रहे हैं?

 इस 3 माह में बहुत कुछ बदलाव हुआ है. पहले लोगों को वायरस का डर सताया, फिर बचने के लिए सावधानियों को अपनाया, अब लोग संक्रमण के साथ जीना सीख रहे हैं. शारीरिक दूरी, मास्क पहनना, हाथों को बार-बार धोना या सैनिटाइजर से साफ करना सहित अन्य ऐहतियातों को अपनाते हुए दिनचर्या में शामिल कर लिया है.

आप राजनीति से जुड़े हैं, मनपा में विपक्ष के नेता एवं विधायक रहे हैं.भीड़ से अलग रहना कचोटता नहीं है?

 नहीं, नहीं, अब सब कुछ बदल रहा है.सूचना एवं तकनीक का जमाना है. केवल फिजिकल दूरी है, हम सभी से जुड़ कर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हुआ है.केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने का काम चल रहा है.पहले एक लाख लोगों की भीड़ जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़तु थी,अब वर्चुअल रैली की जा रही है.केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वर्चुअल रैली में मुंबई एवं कोंकण से 30 लाख लोगों के जुड़ने की संभावना है.

 कोरोना संकट को संभालने में राज्य सरकार कहां तक सफल हुई है?

 देखिए, राज्य सरकार के कामकाज के बारे में कुछ बोलना ठीक नहीं है.सत्तारूढ़ दल आपस में ही उलझा हुआ है.कोई ठोस नीति नहीं है.मंत्रियों को बचाने के लिए अधिकारियों की बलि चढ़ाई जा रही है.सरकार में कोई तालमेल नहीं है.सरकार कोरोना को रोकने में नहीं बल्कि आंकड़ों को छुपाने में पूरी ताकत लगा रही है.

नवभारत के पाठकों के लिए कोई संदेश?

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