Strike

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    मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में नॉन कोविड मरीजों की संख्या बढ़ने वाली है। राज्य में निवासी डॉक्टरों के संघटन ‘महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स’ (Mard) ने शुक्रवार से पूरे राज्य में बेमुद्दत हड़ताल (Strike) पर जाने की घोषणा की है। निवासी डॉक्टरों की अनुपस्थिति में ओपीडी (OPD), ऑपरेशन (Operation) और वार्ड सेवा प्रभावित होंगी।

    नीट पीजी 2021 काउंसलिंग आयोजित करने में बार-बार हो रही देरी के खिलाफ देश के डॉक्टरों के तमाम संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर विरोध प्रगट किया है। मार्ड ने भी इस मुहिम को अपना समर्थन देते हुए 6 दिसंबर को एक दिवसीय हड़ताल किया था। काउंसलिंग अब भी नहीं शुरू हुई है, जिसके चलते राज्य के डॉक्टरों बेमुद्दत हड़ताल की शुरुआत कर दी है। मुंबई में बुधवार की दोपहर से ही निवासी डॉक्टरों के अपनी सेवा देना बंद कर दी है। 

    मरीजों को भुगतना पड़ेगा खामियाजा

    इसी बीच, शुक्रवार से राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेज के निवासी डॉक्टर्स भी काम नहीं करेंगे। इससे ओपीडी को प्रभावित होगी ही, साथ ही में नॉन इमरजेंसी ऑपरेशन भी टल सकते हैं, कुल मिलाकर इस हड़ताल का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा। मार्ड के अध्यक्ष डॉ अविनाश दहीफाले ने बताया कि काउंसिलिंग में हो रही देरी के कारण रेसिडेंट डॉक्टरों की प्लेसमेंट नहीं हो पा रही है, निवासी डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमने शुक्रवार को सुबह 11 बजे से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। केवल इमरजेंसी केस और अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज का उपचार ही किया जाएगा। बता दें कि राज्य में 5000 रेसिडेंट डॉक्टर्स हैं। 

    कुछ नॉन इमरजेंसी सर्जरी इस दौरान नहीं हो पाएगी

    मनपा के प्रमुख अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. रमेश भारमल ने कहा कि निवासी डॉक्टरों की गैर मौजूदगी  उनकी जगह सीनियर डॉक्टर्स जैसे विभागप्रमुख, सहायक प्रोफेसर, लेक्चरर मोर्चा संभालेंगे। कुछ नॉन इमरजेंसी सर्जरी इस दौरान नहीं हो पाएगी। राज्य स्वास्थ्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निवासी डॉक्टरों की इस हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी असर पड़ेगा ऊपर से बेमुद्दत हड़ताल से लाखों मरीज परेशान होंगे। रेसिडेंट की अनुपस्थिति मरीजों को काफी खलेगी क्योंकि डॉक्टर कम होने के कारण समय अधिक लगेगा और कतार लंबी हो सकती है। केईएम मार्ड के अध्यक्ष डॉ. सचिन पाटीदार ने बताया कि जल्द इस समस्या का निवारण नहीं हुआ तो वे लोग इमरजेंसी सर्विस देना भी बंद कर देंगे।