म्हाडा की ऑनलाइन योजना हुई फ्लॉप, ऑफलाइन योग्यता सुनिश्चित करने मुख्यालय पहुंचे मिल मजदूर

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  • म्हाडा की योग्यता सुनिश्चित करने की ऑनलाइन योजना हुई फ्लॉप
  • योग्यता निश्चित करने सैकड़ो मिल मजदूर पहुंचे मुख्यालय
  • वेबसाइट में खामिया, कामगारों ने चुना ऑफलाइन मार्ग
प्रिया पांडे @नवभारत
मुंबई: पिछले कई सालों से मिल वर्कर (Mill workers) अपने हक के घर का इंतजार कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने कुछ लोगों को घर दिया भी है। लेकिन अब भी कई ऐसे लोग हैं, जो आज भी अपने घर का इंतजार कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के मुंबई बोर्ड ने मिल मजदूरों की योग्यता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान शुरू किया था। ये अभियान उन कामगारों के लिए है, जो पिछली लॉटरी में अयोग्य साबित हुए थे। इसी के मद्देनज़र म्हाडा ने ऑनलाइन (Online) फॉर्म भरने के लिए कहा था। लेकिन वेबसाइट में तकनीकी खराबी की वजह से मजदूरों और उनके उत्तराधिकारीयों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस वजह से उन लोगों ने ऑफलाइन (Offline) फॉर्म भरने का निश्चय किया। इसी संदर्भ में सैकड़ों की संख्या में लोग सोमवार सुबह से ही लाइन में खड़े थे। कई लोग तो ऐसे है, जो बिना खाए-पीए लाइन में खड़े थे और म्हाडा के इस प्रबंधन पर नाराजगी व्यक्त कर रहे थे।
 
म्हाडा के मुंबई बोर्ड ने कुल 1,50,484 मिल मज़दूरों और उनके उत्तराधिकारियों की योग्यता निर्धारित करने के लिए एक समयबद्ध विशेष अभियान का आयोजन किया है। 14 सितंबर से योग्यता सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज जमा करने की सुविधा म्हाडा मुख्यालय में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से शुरू की गई है। म्हाडा मुख्यालय में दस्तावेज जमा करने के लिए 6 विंडो की योजना बनाई गई है। तीन अधिकारी बाहर फॉर्म पर विंडो नंबर दर्ज करते हैं। उसके बाद दस्तावेज़ एकत्र किए जाते हैं। 25 सितंबर तक 1882 ऑफलाइन आवेदन जमा हुए हैं।
 

संभाजी आनंद पिसाल ने बताया, मैं यहां सुबह 9:30 बजे से बिना कुछ खाए पिए लाइन में खड़ा हूं। लेकिन अब तक मुझे मेरे कागज पत्र नहीं मिले हैं। हमने ऑनलाइन फॉर्म भरने की भी कोशिश की पर वेबसाइट नहीं चल रही है। सिर्फ एक योग्यता के लिए हमें इतना समय खड़े रहना पड़ रहा है। मेरे घर पर कोई नहीं है, इसलिए मैं खुद इस उम्र में पात्रता के लिए म्हाडा कार्यालय आया हूं।

नथूराम बजरंग यादव (मिल मजदूर) ने बताया, मैं इस पात्रता के लिए सांगली से आया हूं। यदि हम ऑनलाइन फॉर्म भी भरते हैं तो हमें अधिकारी के साइन की जरूरत है, जिसे लेने हमें यहां आना ही पड़ेगा। क्योंकि यह साइन बहुत महत्वपूर्ण है। मैं सुबह 11:00 से लाइन में खड़ा हूं और यह भी नहीं जानता कि मेरा नंबर कब आएगा। साथ ही हमें हमारे यूनियन के लीडर ने ऑफलाइन फॉर्म भरने के लिए कहा है।

बार-बार प्रक्रिया बदल रहा है म्हाडा
प्रवीण घाघ, अध्यक्ष, जिला मजदूर संघर्ष समिति ने कहा, म्हाडा बार-बार प्रक्रिया बदल रहा है और इस बार शुरू किया गया यह ऑनलाइन तरीका सफल नहीं होगा। क्योंकि मिल मजदूरी वरिष्ठ हैं और उन्हें टेक्नोलॉजी का ज्यादा ज्ञान नहीं है।  हमने अपने कार्यालय में भी लोगों को फॉर्म भरने के लिए बैठाया था। लेकिन प्रोसेस आगे बढ़ ही नहीं रहा है। उनकी वेबसाइट में तकनीकी खामियां हैं। पहले जो लॉटरी निकालने के बाद योग्यता निश्चित करने का तरीका था वह सही था। लेकिन ये तरीका सही नहीं है। इसका असर दो दिन में ही दिख गया है। हम जल्दी इसको लेकर एक मीटिंग करेंगे।