Ajit Pawar
अजित पवार

Loading

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit) पर बीजेपी (BJP) के भ्रम जाल में फंसने का और बीजेपी के सामने अपना स्वाभिमान गिरवी रखने का आरोप लग रहा है। एक तरफ अजित पवार महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत को लेकर उत्साहित हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की तरफ से उनकी पार्टी और विधायकों पर बढ़ रहे दबाव को लेकर हतोत्साहित भी हैं और बीजेपी के साथ उनका मतभेद (Difference) भी साफतौर पर नजर आने लगा है। विपक्ष (Opposition) भी हमलावर हो गया है और अजित पवार पर आप लग रहे हैं कि अब उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। 
 
कैबिनेट मीटिंग से किया किनारा 
अजित पवार बीते दिनों राज्य सरकार की कैबिनेट मीटिंग में उपस्थित नहीं थे और उसी के बाद से मौजूदा सरकार के साथ उनके मतभेद की खबर निकलकर सामने आई। हालांकि अजित पवार और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे साथ ही राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस तरह की बात को सिरे से नकारा, लेकिन अजीत पवार का मौजूदा सरकार के साथ मतभेद अब साफ तौर पर नजर आने लगा है। 
 
 
अपने विधायकों को फंड ना मिलने से नाराज़ 
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार अजित पवार सरकार द्वारा अपने विधायकों को फंड नहीं दिए जाने वजह से नाराज चल रहे हैं और इसी सिलसिले में बात करने के लिए वह बीजेपी के आला कमान नेताओं से मिलने दिल्ली गए थे। खबर यह है कि दिल्ली में वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका दिल्ली जाना सफल होता है या नहीं। 
 
 
शरद पवार के साथ मुलाकात पर अटकलें तेज  
दिवाली के मौके पर अजित पवार ने शरद पवार और सुप्रिया सुले से भी मुलाकात की थी और शरद पवार के साथ उनकी मुलाकात के बाद अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि छोटे पवार और बड़े पवार के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है। जिसका खुलासा आने वाले दिनों में हो सकता है। खबर यह भी है कि ठीक चुनाव से पहले अजित पवार कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं और इसे उनकी भाजपा के साथ चल रही नाराजगी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। 
 
छगन भुजबल ने बढ़ाई मुश्किल 
अजित पवार की मुश्किल थमने का नाम नहीं ले रही है। उनकी अपनी ही पार्टी के विधायक उनके लिए मुश्किल भी खड़ी कर रहे हैं। ओबीसी नेता और अजित पवार गुट के विधायक छगन भुजबल ने हाल ही में मराठा आंदोलन को लेकर यह कहा, कि मराठा रिजर्वेशन की आड़ में ओबीसी रिजर्वेशन को खत्म करने की सियासत चल रही है और वह ऐसा कतई होने नहीं देंगे। उनका यह बयान पार्टी और सरकार दोनों के लिए विरोधाभास साबित हुआ है और इस वजह से अजित पवार की मुश्किल बढ़ती हुई नजर आ रही है। 
 
मुख्यमंत्री बनने का सपना 
निकाय चुनाव के बाद पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए अब अजित पवार के मन में आगामी चुनाव के बाद राज्य की सत्ता का मुखिया बनने का सपना भी साफ तौर पर नजर आ रहा है। उनकी मां ने चुनाव के दौरान राज्य की जनता से अपील की थी कि वह अपने जीते जी अजित पवार को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ उनके चाचा यानी शरद पवार यह कह चुके हैं कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का अजित पवार का सपना पूरा नहीं होगा। अब ऐसे में यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार महाराष्ट्र की जनता किसकी बात सुनती है। लेकिन अजीत पवार का बीजेपी के साथ मतभेद उनके और उनके पार्टी के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। 
 
बीजेपी के भ्रम जाल में अजित 
दरअसल बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ अजित पवार ने गठजोड़ सिर्फ इसलिए ही किया था कि वह सत्ता में रहकर निर्णायक फैसला ले सकें। लेकिन वैसा होते हुए नजर नहीं आ रहा है। विपक्ष ने अजित पवार पर यह भी आरोप लगाया है कि वह बीजेपी के भ्रम जाल में पूरी तरह से फंस गए हैं और उनकी ताकत को पूरी तरह से कुंद कर दिया गया है। अब वह मौजूदा सरकार में उस तरह से फैसला नहीं ले पा रहे जैसे वह पिछली सरकारों में उपमुख्यमंत्री रहते हुए लिया करते थे।