Pankaja Munde

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  • खड़से की भुमिका होगी अहम
  • शिवसेना में जाने की संभावना

मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी (BJP) की जड़ें मजबूत करने वाले कद्दावर ओबीसी नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) की राह अलग होती दिखाई दे रही है। पार्टी में हाशिए पर चल रही पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे के नाराज होने की चर्चा 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही चल रही है। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव होने के बावजूद पंकजा लगातार हाईकमान के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करती रहीं हैं। पंकजा के नेतृत्व वाली वैद्यनाथ शुगर फैक्ट्री पर जीएसटी विभाग के छापे और करोड़ों की संपत्ति जब्त किए जाने पर उन्होंने फिर एक बार अपनी सरकार पर निशाना साधा है। इसके पहले भी उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह भाजपा को अपना परिवार मानती हैं, लेकिन पार्टी उन्हें अपना नहीं मानती।

 
बदला है राजनीतिक समीकरण
चर्चा है कि राज्य में पार्टी द्वारा तवज्जो न मिलने  से नाराज पंकजा शिवसेना का दामन थाम सकती हैं। शिवसेना में विभाजन के बाद मराठवाडा में एक बड़े ओबीसी नेता की तलाश उद्धव (Uddhav Thackeray) को भी है। 2014 से 2019 तक देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी पंकजा मुंडे पिछले विधानसभा चुनाव में अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे के मुकाबले अपने परिवार के गढ़ परली में हार गईं थी। अब धनंजय मुंडे शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार में मंत्री बन गए हैं। अगले विधानसभा चुनाव में वे अजित पवार की ओर से महायुती के उम्मीदवार होंगे। ऐसे में बदले राजनीतिक समीकरण में पंकजा मुंडे के लिए शिवसेना उद्धव गुट के साथ जाने की अटकलें तेज हो गई है। वैसे बीजेपी के पूर्व मंत्री एवं इस समय एनसीपी के विधानपरिषद सदस्य एकनाथ खड़से भी पंकजा पर बीजेपी में अन्याय की बात करते रहें हैं। खड़से का आरोप है कि बीजेपी राज्य में ओबीसी नेताओं को लगातार किनारे करती रही है।
 
 
ब्रेक के बाद हुईं सक्रिय
पंकजा कई महीने की ब्रेक के बाद इसी माह फिर से सक्रिय हुईं हैं। उन्होंने राज्य के कई धर्मस्थलों की यात्रा कर लोगों से संवाद भी साधा है। राज्य के 10 जिलों में गईं पंकजा की शिवशक्ति यात्रा को अच्छा प्रतिसाद भी मिला। इस दौरान पंकजा के माध्यम से ओबीसी समाज को एकजुट करने की चर्चा भी छिड़ी। ओबीसी जातिगत जनगणना और महिला आरक्षण को लेकर राज्य में पंकजा की भुमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। उन्हें रासप के नेता महादेव जानकर का भी समर्थन है। ऐसे में वे बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के पहले पंकजा की नई भुमिका से धमाका हो सकता है।
 
एमपी विप चुनाव से अलग  
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पंकजा को विधान परिषद में मौका दिए जाने की चर्चा थी, परंतु यहां भी निराशा हाथ लगी। परली से ही सांसद उनकी बहन प्रीतम मुंडे को भी केंद्र के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। वैसे पंकजा को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है लेकिन वहां होने वाले विधानसभा चुनाव से भी वे अलग हैं। बल्कि होम स्टेट महाराष्ट्र में उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। वैसे राज्य बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पंकजा बिल्कुल नाराज नहीं हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता केशव उपाध्ये के अनुसार पंकजा मुंडे पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। सभी उनका सम्मान करते हैं। बीजेपी में फूट डालने की विपक्षियों की नीति सफल नहीं होगी।