Resident doctors strike continues, patients will face problems in the coming days

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    मुंबई. मेडिकल फीस माफ करने सहित अन्य मांगों को लेकर निवासी डॉक्टरों (Resident Doctors) की हड़ताल (Strike) शुक्रवार से शुरू हो गई है। सरकार और निवासी डॉक्टरों के बीच कई बैठकों के बावजूद कोई फैसला नहीं हुआ, जिसके चलते डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। महानगरपालिका और सरकारी अस्पतालों के वरिष्ठ डॉक्टरों की माने तो यह आंदोलन आगे बढ़ता है तो आने वाले दिनों में मरीजों (Patients) को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 

    कोविड काल मे ड्यूटी करने के बाद निवासी डॉक्टरों की यह मांग है कि उनकी फीस को माफ कर दिया जाए। इसको लेकर वे सरकार से बार-बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार से केवल उन्हें आश्वासन ही मिला है। इससे नाराज राज्य के करीब 5 हजार निवासी डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी हूं। हड़ताल के पहले दिन ओपीडी पर उतना असर नहीं हुआ क्योंकि विभिन्न विभाग के प्रमुखों, सहायक प्रोफेसर और अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों ने ओपीडी में मोर्चा संभाला, लेकिन कुछ डॉक्टरों ने बताया कि यदि स्ट्राइक आगे बढ़ती है तो आने वाले समय में मरीजों के लिए दिक्कत बढ़ सकती है, क्योंकि मनुष्यबल की संख्या कम हो गई है। 

    सीनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी को संभाला 

    महानगरपालिका अस्पतालों के निदेशक और नायर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमेश भारमल ने बताया कि अस्पताल के सीनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी को संभाला है। अस्पताल में भर्ती मरीज और इमरजेंसी सेवा प्रभावित नहीं हुई है। वरिष्ठ डॉक्टरों की माने तो यदि जल्द से जल्द इस मसले का निवारण नहीं हुआ तो स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका खासा असर देखने को मिलेगा। स्वास्थ्य सिस्टम चरमरा सकती है।

    ओपीडी में 50% मरीज कम देखे गए

    हड़ताल का असर ओपीडी सेवाओं पर देखा गया है। महानगरपालिका और सरकारी प्रमुख अस्पतालों में ओपीडी में 40 से 50 प्रतिशत मरीजों की संख्या कम देखी गई। एक कारण यह है कि हड़ताल की खबर सुन कई मरीज अस्पताल नहीं आए तो कुछ अस्पतालों में लिमिटेड संख्या में ओपीडी चलाई गई। महानगरपालिका के केईएम, सायन, नायर अस्पताल में सामान्य दिनों की तुलना में मरीजों की संख्या में लगभग 50 फीसदी का ड्राप शुक्रवार को देखा गया। 

    निवासी डॉक्टरों के साथ आंदोलन खत्म करने को लेकर चर्चा जारी है। फीस माफी व अन्य मांगों का निर्णय मंत्रालय से होगा। हम डॉक्टरों से संवाद कर रहे हैं आशा है जल्द ही आंदोलन खत्म हो जाएगा।

    -डॉ. दिलीप म्हैसेकर, निदेशक, डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (डीएमईआर)

    हम पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को पत्र व्यवहार कर रहे हैं। मरीज को परेशानी हो यह हमारा ध्यय नहीं है, लेकिन सरकार हमें केवल आश्वासन दे रही है। जब तक तक हमें लिखित में कुछ जवाब नहीं दिया जाता हम हड़ताल जारी रखेंगे।

    -डॉ. ज्ञानेश्वर धोबले, अध्यक्ष, मार्ड