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12 साल से अटका है प्रोजेक्ट

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  • 12 साल से अटका है प्रोजेक्ट 

प्रिया पांडे@नवभारत  
मुंबई: मुंबई (Mumbai) में एसआरए के ऐसे कई प्रोजेक्ट्स है, जिसका पुनर्विकास कई सालों से अटका हुआ है। कभी बिल्डर (Builder) फरेबी निकलता है तो कभी कमेटी और बिल्डर के बीच मतभेद के कारण प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाता है। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट मुंबई के चेंबूर में स्थित सिन्धी सोसाइटी का है। जिसका पुनर्विकास 10 साल से अधिक समय से रुका हुआ है। लोगों का कहना है कि बिल्डिंग की हालत खराब हो गई है। यदि बिल्डिंग गिरती है, तो इसका जिम्मेदार बिल्डर होगा। 

बता दें कि 2009 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। 2011 में बस्ती तोडना शुरू किया गया। 2012 में मूल जगह से 1 किमी दूर ट्रांजिट कैंप बनाया गया। उस दौरान बिल्डर को यह कहा गया था कि ट्रांजिट कैंप महज 3 साल के लिए है। इस बिल्डिंग का ऑडिट हर 6 महीने में किया जाना चाहिए। साथ ही यदि कोई मेंटेनेंस का काम किया जाता है तो उसकी रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया था। लेकिन 2012 से लेकर अब तक बिल्डर की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। बिल्डिंग में पहले लिफ्ट की सुविधा नहीं थी। बाद में लिफ्ट बनाने की वजह से बिल्डिंग पर दबाव भी पडा और हालत खराब हो गई। तो वहीं रहवासियों का यह भी कहना है कि बिल्डर ने सेल की बिल्डिंग बना दी और उसमे लोग रह भी रहें है। 

खतरनाक घोषित किया गया ट्रांजिट कैंप 
सोसाइटी में रहने वालों का यह आरोप है कि कमेटी मेंबर बिल्डर के साथ मिले हुए हैं। इसलिए अब बिल्डिंग के कुछ जिम्मेदार लोगों ने वहां पर मीटिंग लेना शुरू कर दिया है और सोसाइटी में मेंटेनेंस का काम भी रोक दिया गया है। क्योंकि इस वजह से सोसाइटी पर दबाव पड़ सकता है और सोसाइटी का कुछ हिस्सा गिर भी सकता है। इस बिल्डिंग को लेकर रिपोर्ट भी आरटीआई के जरिए मांगी गई थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बिल्डिंग को खतरनाक बिल्डिंग घोषित किया है और इस वज़ह से बिल्डर ने रहवासियों को नोटिस भी भेजी है कि बिल्डिंग को जल्द से जल्द खाली कर दिया जाए। 

लेकिन वहां के रहवासी चिंता में है कि यदि वह बिल्डिंग खाली कर देते हैं तो उन्हें कहीं और रहने का भाड़ा समय पर नहीं मिलेगा। क्योंकि जिस वक्त चॉल को तोड़ा गया था उस वक्त वहां पर 350 परिवार रहा करते थे जिनमें से 100 लोग ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट हुए तो वही बचे हुए लोग भाड़ा लेकर बाहर रहने लगे। उनका भाड़ा पहले समय पर मिलता था लेकिन कुछ सालों बाद यह भाड़ा देरी से मिलने लगा। यदि वह भी पैसे लेकर बाहर रहने जाते हैं तो उन्हें भी इस समस्या से जूझना पड़ेगा पर अब लोगों का कहना है कि बिल्डर ने उन्हें बोला है कि 15 नवंबर को काम शुरू करेगा। 

स्थानीय निवासी मनोज खरात ने कहा, यदि बिल्डिंग कभी गिरती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। सैकड़ों लोगों की जान का सवाल है। हमारी कोशिश है कि सब को उनके हक़ का घर मिले। कमिटी हमे सपोर्ट नहीं करती है पर फिर भी हम अपनी लड़ाई जारी रखे है।  

समाजसेवी धीरज नलावडे का कहना है कि हमें बिल्डर चेक दे रहा है और बिल्डिंग खाली करने के लिए कह रहा है। लेकिन पहले जो लोग बाहर रहने गए, उनका भाड़ा भी उन्हें 3 से 4 महीने देरी से मिलता है. ऐसे में यहां के गरीब लोग कहा जाएंगे। 

संजू साहू (वकील) का कहना है कि हमने जब बिल्डर से पूछा कि आप इतने सालों बाद अब क्यों यहां पर मेंटेनेंस का काम करने के लिए आए हैं, तब बिल्डर ने कहा कि बीएमसी ने बिल्डिंग को खतरनाक घोषित कर दिया है। इसलिए मैंने आपको नोटिस भेजी है। मैं फिलहाल पैसों की तंगी में हूं लेकिन बिल्डिंग जरूर बना कर दूंगा। लेकिन यह बात उन्होंने कहीं ऑफिशियली नहीं कही है। 

सुनील कुकरेजा (डायरेक्टर, सोनू रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड) ने कहा, हमारा सभी काम समय पर चल रहा है और प्रोजेक्ट में कोई समस्या नहीं है। हमारी कोशिश है कि सभी को उनका हक़ का घर मिले।