Sharad Pawar
ANI Photo (File)

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    नागपुर. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने दावा किया कि बॉलीवुड (Bollywood) में सबसे बड़ा योगदान मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) से आया है और कोई भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता है। अल्पसंख्यकों और उर्दू भाषा ने देश के सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है।

    पवार ने कहा, “अगर आज हम कला, कविता और लेखन की बात करें तो इन वर्गों में योगदान करने की सबसे अधिक क्षमता अल्पसंख्यकों में है। बॉलीवुड में सबसे ज्यादा योगदान किसने दिया है? मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने सबसे अधिक योगदान दिया और इसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।”

    एनसीपी सुप्रीमो ने आगे कहा, “हमारे सामने बॉलीवुड है, जिसने इसे शीर्ष पर ले जाने में सबसे अधिक योगदान दिया है, यह मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं जिन्होंने सबसे अधिक योगदान दिया है और हम उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।”

    विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम की ओर से यहां आयोजित ‘भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवार ने ऊर्दू की तरफदारी की लेकिन राज्यों की ‘मुख्य भाषा’ की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने इस संदर्भ में केरल की स्थिति का उदाहरण दिया।

    उन्होंने कहा, “मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच यह भावना है कि देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जो वाकई एक सच्चाई है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि कैसे उन्हें उनका उचित हिस्सा मिल पाए।”

    सरकारी भर्ती परीक्षाओं में ऊर्दू के उपयोग की मांग संबंधी एक पूर्व वक्ता के बयान पर पवार ने इस भाषा की तारीफ की और कहा कि कई लोग पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं। उन्होंने कहा, “हमें ऊर्दू विद्यालय एवं शिक्षा पर विचार करना चाहिए, लेकिन ऊर्दू के साथ ही, हमें राज्य की मुख्य भाषा पर विचार करना है।”

    उन्होंने कहा कि केरल में अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है और व्यक्ति को इस बात के लिए अध्ययन करने की जरूरत है कि सर्वाधिक साक्षरता दर वाले इस राज्य में कैसे अल्पसंख्यक मुख्य भाषा को साथ दे रहे हैं और उन्हें इससे क्या फायदे मिल रहे हैं।

    पवार ने कहा कि देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ऊर्दू के माध्यम से कला, काव्य एवं लेखन में बड़ा योगदान कर सकता है क्योंकि उनके सदस्यों में ‘गुणवत्ता एवं दक्षता’ है लेकिन उन्हें ‘सहयोग और समान अवसर’ की जरूरत है। पवार ने कहा कि राकांपा ने हमेशा अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और फिलहाल उसके आठ सांसदों में दो मुसलमान हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)