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नागपुर: सुधार और पुनर्वास जेल विभाग का ब्रीद वाक्य है, इसीलिए कैदियों के लिए विविध प्रकार के उपक्रम भी चलाए जाते हैं. जेल से बाहर निकलने के बाद कैदियों का पुनर्वास हो इसीलिए उनके लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था की गई है. वर्ष 2009 में नागपुर सेंट्रल जेल में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) का केंद्र शुरू किया गया था. केंद्र द्वारा कैदियों के लिए विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम नि:शुल्क चलाए जाते हैं. अब तक 32 कैदी जेल में रहते हुए ग्रेजुएट हो चुके हैं.

इस वर्ष 1 कैदी ने एमबीए डिप्लोमा, 6 कैदी बीएम और 2 कैदी एमए का डिप्लोमा प्राप्त कर चुके हैं. रविवार को केंद्र का 14वां वर्धापन दिवस मनाया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जेल विभाग के विशेष पुलिस महानिरीक्षक जालिंदर सुपेकर ने की. उन्होंने कैदियों को संबोधित करते हुए शिक्षा का महत्व बताया. डॉ. आंबेडकर के विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा शेरनी का दूध है जो पियेगा वह दहाड़े बिना नहीं रह सकता.

कार्यक्रम के आयोजक इग्नू नागपुर के उपविभागीय संचालक शशिकुमार ब्रमोट ने केंद्र द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने कैदियों से कहा कि सकारात्मक विचार रखकर शिक्षा हासिल करने से उनका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है. शिक्षा लेने वाले कुछ कैदियों ने भी अपने अनुभव साझा किए. कार्यक्रम में जेल के एसपी वैभव आगे, उपअधीक्षक दीपा आगे, वरिष्ठ जेल अधिकारी आनंद पानसरे, शिक्षक लक्ष्मण सालवे, राजगुरे और राजेश वासनिक भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन जेल की शिक्षिका पंचशीला चव्हाण और आभार प्रदर्शन दीपा आगे ने किया. (एजेंसी)