नागपुर. सरकारी सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति समझने की मानसिकता वाले कुछ पुराने जिला परिषद सदस्यों ने उन्हें दिए गए टैब अब तक नहीं लौटाए हैं. जबकि उनका कार्यकाल 2 वर्ष पहले की खत्म हो चुका है. आश्चर्य की बात यह भी है कि 10.40 लाख रुपयों के टैब का कब्जा लेने में जिप प्रशासन भी अब तक असमर्थ रहा है. बताते चलें कि कृषि व जल संधारण योजनाओं की जानकारी ग्रामीण भागों तक पहुंचाने के उद्देश्य से जिला परिषद के सदस्यों को हाईटेक तकनीक वाले टैबलेट का वितरण किया गया था.
यह वितरण भाजपा की सत्ता के समय जिला परिषद के पदाधिकारियों व सदस्यों को हुआ था. उनका कार्यकाल समाप्त होने पर टैब जिप प्रशासन को वापस लौटाना था. 58 टैब का वितरण हुआ था और जब कार्यकाल समाप्त हुआ और चुनाव हुए तो सत्ता भी बदल गई. तात्कालीन सदस्यों में से 32 ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए टैब वापस कर दिये लेकिन 26 तात्कालीन सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने जिप की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति समझकर 2 वर्षों में भी टैब नहीं लौटाए हैं. एक टैब की कीमत 40 हजार रुपये के करीब है और 26 टैब की कीमत 10.40 लाख रुपये होती है जो सदस्यों ने लौटाए नहीं हैं.
स्टैंडिंग में उठेगा मुद्दा
टैब का मुद्दा जिप की स्थायी समिति की सभा में उठने वाला है. जिप प्रशासन को जिन 32 पूर्व सदस्यों ने टैब लौटाए हैं उसका वितरण ग्रामीण भागों में काम करने वाली आशा वर्कर्स को किया जाना है. साथ ही जो 26 टैब वापस नहीं आए हैं उसका कब्जा पाने की नीति भी तैयार की जाएगी. जिन सदस्यों ने टैब बार-बार कहने के बाद भी नहीं लौटाया है उन पर किस तरह की कार्रवाई की जा सकता है इस पर भी चर्चा होगी.
21 लाख से अधिक हुआ था खर्च
बताते चलें कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित डिजिटल इंडिया की तर्ज पर जिप सदस्य भी अपडेट हों व ग्रामीणों के बीच सरकार की प्रत्येक योजनाएं पहुंचाए सकें इसलिए तात्कालीन जिप अध्यक्ष निशा सावरकर ने ग्राम विकास मंत्रालय से फालोअप कर टैब वितरण की मंजूरी लाई थी. 58 टैब पर 21 लाख रुपयों से अधिक खर्च हुआ था. एपल कंपनी के टैब को जिस सदस्यों को वितरित किया गया था. सेसफंड से यह खर्च किया गया था. सदस्यों को टैब चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. साथ ही कहा गया था कि कार्यकाल खत्म होते हुए टैब जिप प्रशासन को वापस करना है.