Road accident in Andhra Pradesh
प्रतीकात्मक तस्वीर

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नागपुर. सिटी में सड़क हादसों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. आए दिन कोई न कोई हादसा हो रहा है. जनवरी महीने की शुरुआत भी कुछ अच्छी नहीं रही. 18 दिनों में 30 से ज्यादा सड़क हादसे हो चुके हैं जिसमें 16 लोगों की मौत हुई. वाहनों की भिड़ंत में फिर भी अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों में से एक वाहन चालक की गलती रही होगी. आश्चर्य की बात यह कि शहर में पैदल चलने वाले भी सुरक्षित नहीं हैं. हादसों के शिकार हुए 16 लोगों में से 7 पैदल चलने वाले थे. अब उनकी क्या चूक हो सकती है. इसकी मुख्य वजह शहर की यातायात व्यवस्था है. फुटपाथों पर दूकानदार और हॉकरों का कब्जा होने के कारण नागरिकों को मजबूरन रास्ते पर ही पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में कहीं से कोई वाहन चालक आता है और उन्हें टक्कर मारकर फरार हो जाता है.

वाड़ी थानांतर्गत कोहले लेआउट निवासी तुलसीराम रामभाऊ गोमासे (49) बीते मंगलवार की शाम अपने घर के सामने टहल रहे थे. अज्ञात दोपहिया चालक ने उन्हें टक्कर मार दी और फरार हो गया. बुधवार देर रात तुलसीराम ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं. 16 जनवरी की सुबह नंदनवन थाना क्षेत्र में वॉक पर निकले रामलाल भोजराज रजक (62) को स्कूल बस चालक ने टक्कर मार दी. 16 जनवरी को तड़के 4 बजे के दौरान बेलतरोड़ी थानांतर्गत आउटर रिंग रोड पर पांजरी टोल नाके के समीप पैदल जा रहे कैलाश सुभाष पाटिल (31) को अज्ञात वाहन चालक ने टक्कर मार दी. उपचार मिलने से पहले ही उनकी मौत हो गई.

14 जनवरी की रात वाड़ी थानांतर्गत वड़धामना चौक से पैदल जा रहे गोविंद जयराम ठाकरे (40) को अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी और उनकी मौत हो गयी. कलमना थाना क्षेत्र में 7 जनवरी की रात आउटर रिंग रोड पर गजराज सिंह राठोड़ (30) को अज्ञात वाहन चालक ने उड़ा दिया. लकड़गंज थाना क्षेत्र में 2 जनवरी की शाम सरस्वती जगन मिश्रा (75) की अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत हुई. कोराड़ी में भी पैदल रास्ता पार करते समय एक 7 वर्षीय बालक को वाहन चालक ने उड़ा दिया. जरीपटका, अजनी और यशोधरानगर थाना क्षेत्र में भी पैदल चलने वाले 5 लोग हादसों में जख्मी हुए हैं. यह आंकड़ा केवल पैदल चलने वालों का है.

बीते वर्ष 90 लोगों की मौत

बीते वर्ष शहर में 1200 से ज्यादा सड़क हादसे हुए. इसमें 301 लोगों की मौत हुई. गंभीर बात यह कि मरने वालों में 90 पैदल चलने वाले थे. मतलब 29 प्रश हादसों में पैदल चलने वाले ही सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. इससे शहर की यातायात व्यवस्था का अनुमान लगाया जा सकता है. शहर में पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. बड़े पैमाने पर पैदलचारी हादसों के शिकार हो रहे हैं. हर वर्ष शहर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का विस्तृत ब्योरा तो जमा किया जाता है लेकिन हादसों की वजह जानने या खामियां दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं करता. 

खाली करवाएं फुटपाथ

जब शहर के फुटपाथों पर दूकानदारों का कब्जा होगा तो नागरिकों को रास्ते पर ही चलना पड़ेगा. फुटपाथ खाली रखने की जिम्मेदारी भले ही महानगर पालिका की है लेकिन यातायात में बाधा बन रहे अतिक्रमणकारियों पर पुलिस भी कार्रवाई कर सकती है. दोनों विभागों को संयुक्त रूप से आपसी समन्वय के साथ फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए. 

हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसे

पैदल चलने वाले अधिकांश लोग शहर से गुजरने वाले हाईवे पर ही हादसों के शिकार हुए है. विशेषतौर पर आउटर रिंग रोड पर दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं. इसमें जबलपुर-हैदराबाद और अमरावती हाईवे पर दुर्घटनाएं ज्यादा हुईं. इसके अलावा वाड़ी, कलमना, एमआईडीसी और हिंगना में भी हादसे बढ़ते जा रहे हैं. हाईवे पर वाहनों की स्पीड अधिक होती है. ऐसे में रास्ता पार करते समय नागरिकों को भी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. हाईवे से सटे स्थानों पर सूचना फलक होना आ‍वश्यक है.