Thela on Road, VNIT
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नागपुर. स्ट्रीट फूड का कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. सिटी के कई इलाकों में फुटपाथ किनारे लगे ठेलों, ट्रालियों और गाड़ियों में विविध तरह के खाद्य पदार्थों के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. कई जगह तो फूडी लोग कतार में भी खड़ा रहना पसंद करते हैं. नूडल्स, मंचूरियन, पेटिस, मोमोज, पाव भाजी आदि बनाने के लिए गैस सिगड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. खाद पदार्थों को बनाते वक्त उससे निकलने वाली गैस, लिक्विड पार्टिकल, धुआं आदि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक हो रहे हैं. इसका खुलासा वीएनआईटी के एक स्टडी से हुआ.

वायु प्रदूषण बढ़ाने के लिए सल्फर डाइऑक्साइड, नाइड्रोडाई ऑक्साइड, पीएम 2.5, ओजोन, बेंजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि घटक जिम्मेदार होते हैं. वायु प्रदूषण केवल वाहनों के धुएं से ही नहीं बल्कि विविध तरह से निकलने वाली गैस से भी होता है. सिटी में हुई जी-20 के दौरान माटे चौक से लेकर पेट्रोल पंप तक खानपान के ठेलों को बंद रखा गया था. इस दौरान फरवरी से अप्रैल 2023 के बीच वायु प्रदूषण मापक यंत्र द्वारा विविध घटकों का अध्ययन किया गया. इसमें पाया गया कि खाद पदार्थ की दूकानें बंद होने से वायु प्रदूषण कम हुआ. सड़क पर ट्रैफिक नहीं होने से वाहन भी तेजी से निकलते गये. इस वजह से सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रो डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड की स्थिति सामान्य बनी रही. 

निश्चित जगह पर बने फूड जोन

अक्सर सड़क किनारे लगने वाले ठेलों में खाद पदार्थों को तलने या गरम करने से वाष्प निकलती है. इसमें बेंजीन नामक घटक पाया जाता है. बेंजीन एक आर्गेनिक कंपाउंड है जो हवा को प्रदूषित करता है. इसकी अधिकता से  एनीमिया, सिरदर्द, चक्कर आना और प्रतिरोधक क्षमता कम होने जैसी शिकायत हो सकती है. साथ ही गैस के सतत रूप से जलने से  कार्बन मोनोऑक्साइड भी निकलता है. यही वजह है कि खानपान की दूकानें सड़क किनारे की बजाय किसी निश्चित स्थान पर होनी चाहिए. इससे वायु प्रदूषण सहित ट्रैफिक की समस्या भी नहीं आएगी. फूड जोन के लिए जगह निश्चित की जानी चाहिए. 

वायु प्रदूषण से विविध तरह की बीमारियां फैल रही हैं. वायु प्रदूषण से एक ओर जहां श्वसन संबंधी बीमारियां फैल रही हैं वहीं दूसरी ओर त्वचा से संबंधित बीमारियां भी जोर पकड़ती हैं. हालांकि यह प्रक्रिया बेहद धीमी गति से होती है लेकिन कुछ समय के बाद इसका असर दिखाई देता है. 

– डॉ. जयेस मुखी, त्वचा रोग विशेषज्ञ, मेडिकल 

सड़क किनारे लगे ठेलों पर भले ही लोग चटकारे लगाकर खाते हों लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है. हवा में फैले धुएं के पार्टिकल शरीर में प्रवेश करने से श्वसन संबंधी बीमारियां होती हैं. साथ ही आसपास प्रदूषण अधिक होने से भी यह जगह उपयुक्त नहीं होती. इस हालत में ऐसी जगहों पर खानपान से बचना फायदेमंद हो सकता है. 

– डॉ. अशोक अरबट, श्वसन रोग विशेषज्ञ