अंबाझरी तालाब
अंबाझरी तालाब

  • हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, सिंचाई विभाग को नोटिस जारी

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नागपुर. नियमों के अनुसार जल इकाइयों के प्रबंधन की जिम्मेदारी महानगर पालिका की नहीं है. इसके बावजूद अंबाझरी तालाब की सुरक्षा को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की ओर से 21 मार्च 2018 को आदेश जारी किए थे. किंतु मनपा के अधिकारियों के पास अधिकार नहीं होने से उन्हें फिलहाल इस मसले से अलग रखने का अनुरोध करते हुए महानगर पालिका की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.

जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने राज्य सरकार के सिंचाई विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश तो दिए, किंतु अंबाझरी तालाब की सुरक्षा पुख्ता करने की दिशा में हाई कोर्ट की ओर से 21 मार्च को दिए गए आदेशों पर अब तक क्या अमल किया गया. इसकी रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए.

प्लान तैयार करने के दिए थे आदेश

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट की ओर से बांध सुरक्षा संस्था को स्वयं या फिर नागपुर स्थित सिंचाई विभाग के माध्यम से तालाब की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए निर्माण कार्य जारी करने के आदेश दिए गए थे. यहां तक कि संस्था को मनपा तथा मेट्रो रेल और स्थानीय सिंचाई इकाई के साथ मिलकर बांध की सुरक्षा एवं उसकी उम्र बढ़ाने के लिए प्लान तैयार करने तथा 15 अप्रैल 2018 तक प्लान को अंतिम करने के आदेश दिए थे. प्लान अंतिम होने के बाद बांध सुरक्षा संस्था स्वयं या फिर सिंचाई विभाग के माध्यम से तुरंत कार्य शुरू करने के भी आदेश दिए गए. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया था कि निर्माणकार्य केवल मेट्रो से जुड़े 342 मीटर दायरे तक ही सीमित ना रखा जाए. बल्कि पूरे बांध के परिसर में किया जाए.

मेट्रो पर खर्च का बोझ

अदालत द्वारा जारी किए गए आदेशों में कहा गया था कि 342 मीटर तक के दायरे में होनेवाले कार्य के खर्च का बोझ मेट्रो रेल द्वारा किया जाए. जबकि अन्य हिस्से का खर्च राज्य सरकार की ओर से किया जाए. अदालत की ओर से इस खर्च की वसूली मनपा और अन्य प्लानिंग अथॉरिटी से वसूल करने की स्वतंत्रता राज्य सरकार को प्रदान की थी. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया था कि निधि की कमी होने का बहाना इस संदर्भ में स्वीकृत नहीं किया जाएगा. हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य के मुख्य सचिव पर सौंपी गई थी.