Shantivan Chicholi

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नागपुर. अंबाझरी स्थित आम्बेडकर सांस्कृतिक भवन को ध्वस्त करने को लेकर अभी जनता का रोष ठंडा भी नहीं हो पाया है कि फिर एक इसी तरह का श्रद्धा स्थल संकट में पड़ता दिखाई दे रहा है. पूरे विश्व में डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर की वस्तुओं का एकमात्र संग्रहालय चिचोली स्थित शांतिवन के पास श्मशानभूमि निर्मित कर इसका महत्व कम करने का षड्यंत्र चल रहा है. इसे लेकर भारतीय बौद्ध परिषद ने आपत्ति जताते हुए जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा है.

उल्लेखनीय है कि शांतिवन में डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर की दैनिक उपयोग की वस्तुओं का संग्रहालय है. ऐतिहासिक रूप से दुर्लभ वस्तुओं का जतन कर यहां महत्वपूर्ण संशोधन केंद्र निर्मित किया गया जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार ने भी करोड़ों रुपए की निधि आवंटित की.

मेट्रो रीजन प्लान में आवास के लिए आरक्षित

उल्लेखनीय है कि संग्रहालय के पास ही सर्वे नंबर 133 स्थित 0.98 हेक्टेयर भूमि पर श्मशानभूमि तैयार करने का मानस ग्राम पंचायत ने जताया है, जबकि मेट्रो रीजन डेवलपमेंट प्लान में इस सर्वे नंबर को आवास के लिए आरक्षित चिन्हांकित किया गया है. जानकारों के अनुसार चूंकि डीपी प्लान में आवास के लिए आरक्षण है, अत: आरक्षण बदले बिना वहां पर जबरन श्मशानभूमि बनाने की कवायद की जा रही है.

शांतिवन में न केवल संशोधन केंद्र बल्कि देश-विदेशों से आने वाले बौद्ध उपासकों या बौद्ध संस्कृति का अध्ययन करने आने वाले छात्रों के लिए ध्यान केंद्र आदि भी बनाया गया है जिससे इस तरह से ऐतिहासिक वास्तु के पास ही श्मशानभूमि बनने से कई तरह की समस्याएं निर्मित होंगी. यहां तक कि दुर्गंध के चलते ध्यान केंद्र और संशोधन के लिए आने वालों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है. यही कारण है कि भारतीय बौद्ध परिषद ने इसका विरोध किया है.

जिस पर संविधान टाइप किया वह टाइपराइटर भी

शांतिवन में रखी गई ऐतिहासिक वस्तुओं का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के संग्रहालय में डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा जिस टाइपराइटर पर संविधान टाइप कर लिखा गया था, वह यहीं रखा गया है. उस समय के डॉ. आम्बेडकर के करीबी सहकारी धम्मसेनानी वामनराव गोडबोले ने चिचोली में एक महिला द्वारा दान में दी गई जमीन पर शांतिवन तैयार किया जहां पर डॉ. आम्बेडकर द्वारा उपयोग किए गए कपड़े, कोट, टाई, जैकेट, कुर्सी, ऐतिहासिक धम्म दीक्षा समारोह में उपयोग में लाई गई बौद्ध मूर्ति और कई तरह की वस्तुएं रखी गईं हैं.

वर्षों तक वस्तुएं यथास्थिति में रहें, इसके लिए रासायनिक प्रक्रिया कर इसका जतन किया गया है लेकिन केवल 200 मीटर पर श्मशानभूमि होने से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.