West Bengal by-election
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नागपुर. जिले के 7 में से 4 एपीएमसी के चुनाव परिणाम आ गए हैं. इनमें से 3 एपीएमसी कुही-मांढल, पारशिवनी व सावनेर में कांग्रेस का कब्जा रहा तो रामटेक एपीएमसी में सुनील केदार व आशीष जायसवाल को भारी झटका लगा. ग्रामीण राजनीति में दबदबा रखने वाले पूर्व मंत्री सुनील केदार ने सावनेर में तो निर्विरोध अपने 18 सदस्यों को जीत दिलवा दी थी. शुक्रवार को 3 एपीएमसी कुही-मांढल, पारशिवनी व रामटेक के लिए मतदान हुआ था. शनिवार को तीनों जगह के परिणाम आए. कुही-मांढल में तो 18 में से 17 सदस्य कांग्रेस के सहकार पैनल ने एकतरफा जीता और यहां भाजपा का केवल एक ही सदस्य जीत पाया.

पारशिवनी में कांग्रेस ने सभी 18 जगहों पर जीत हासिल कर कब्जा कर लिया लेकिन रामटेक में कांग्रेस नेता उदयसिंह यादव ने भाजपा के पूर्व विधायक मल्लिकार्जुन रेड्डी के साथ मिलकर केदार के समर्थक रहे सिचन किरपान व प्रहार के साथ गठबंधन करवाकर शेतकरी सहकार पैनल बनाया था. इस पैनल को मात देने के लिए केदार ने शिवसेना शिंदे गुट के विधायक आशीष जायसवाल से हाथ मिलाया था लेकिन रामटेक की सभी सीटों पर केदार-जायसवाल समर्थकों को यादव गुट ने पराजित कर कब्जा कर लिया. 

हाशिये पर जाने लगे थे यादव

उदयसिंह गज्जू यादव बीते विस चुनाव में रामटेक से कांग्रेस उम्मीदवार थे लेकिन जिला परिषद सदस्य दूधराम सव्वालाखे से विवाद के चलते उन्हें पार्टी ने निलंबित कर दिया था. यादव समर्थकों का आरोप था कि केदार विरोध के कारण उन्हें छोटे से कारण के चलते कांग्रेस से निलंबित करवाया गया था लेकिन एपीएमसी चुनाव में उन्होंने अलग ही पैनल बनाकर जीत हासिल की. उनका भाई रणवीर यादव सहित अन्य समर्थक चुनकर आए हैं. चर्चा है कि रामटेक में अपना वर्चस्व बनाने के लिए कांग्रेस में जहां आपसी गुटबाजी नजर आ रही है वहीं आशीष जायसवाल भी अपनी सीट पर अपना वर्चस्व कायम रखने के प्रयास में हैं.

रामटेक परिणाम के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि कार्यकर्ताओं के असंतोष का विपरीत परिणाम आने वाले चुनावों में भी पड़ सकता है. दरअसल जिले में केदार गुट के सामने मुकुल वासनिक, नाना पटोले, राजेंद्र मुलक के समर्थक कार्यकर्ता भी हाशिए पर लगते नजर आते हैं. उनकी सुनी नहीं जाती. इसलिए इस तरह की स्थिति बनने की चर्चा है.