मेडिकल में बुरा हाल! परिजन ही खींचते स्ट्रेचर, इलाज में लंबा इंतजार

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  • 700 पद वर्ग 4 के मंजूर
  • 550 पद हैं खाली 
  • 2,500 से अधिक की होती है OPD 

नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल प्लेटिनम जुबली मना रहा है. इस उपलक्ष्य में सरकार ने मेडिकल को 520 करोड़ रुपये विविध विकास कार्यों के लिए दिये हैं, लेकिन मैन पावर की कमी दूर नहीं की जा रही है. यही वजह है कि मरीजों सहित परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्थिति यह है कि अटेंडेंट की कमी होने से अक्सर परिजनों को ही स्ट्रेचर खींचना पड़ता है. मरीजों की लंबी कतार की वजह से इलाज के लिए भी इंतजार करना पड़ता है. मेडिकल में सुबह 8.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक ओपीडी का समय रहता है. इस वजह से मरीजों की भीड़ लगी रहती है.

ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए अटेंडेंट और स्ट्रेचर रखे जाते हैं, लेकिन भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि हर गंभीर मरीज को स्ट्रेचर भी समय पर नहीं मिल पाता. यदि स्ट्रेचर मिल भी जाये तो अटेंडेंट नहीं मिलते. इस हालत में परिजनों को ही स्ट्रेचर खींचना पड़ता है. दरअसल अस्पताल में वर्ग 4 के 700 में से 550 पद खाली हैं. इस वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालने में दिक्कतें आ रही हैं. रिक्त पदों पर भर्ती के लिए जिलाधिकारी स्तर पर मंजूरी मिल गई है. नियुक्ति के लिए आईबीपीएस एजेंसी के साथ करार किया गया है. जल्द ही भर्ती प्रक्रिया आरंभ होने वाली है. 

प्रतीक्षालयों में सुविधाएं नदारद

हालांकि वार्डों के आसपास ही परिजनों के लिए प्रतीक्षालय बनाये गये हैं, लेकिन इनमें सुविधाएं नदारद है. कई जगह पंखे नहीं है. पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है. रात के वक्त मच्छरों की फौज हमला करती है. इस हालत में कई परिजन बरामदों में ही रात गुजारते हैं. दिन के वक्त भी वार्डों के सामने बैठे रहना पड़ता है. प्रतीक्षालयों में भी गंदगी लबालब है. शौचालयों की हालत देखकर ही उपयोग करने की इच्छा नहीं होती. कई जगह बेसिन टूटे हैं तो कई जगह नल ही बंद है. पानी और शराब की बोतलों से लाइन ही चोक हो गई है. इस हालत में परिजनों के सामने समस्या विकट हो जाती है.

कई मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें 1-2 महीने भर्ती रखा जाता है. इस स्थिति में उनके साथ परिजनों को भी रहना पड़ता है लेकिन यहां के माहौल में परिजन भी बीमार पड़ जाते हैं. परिजनों का कहना है कि प्रतीक्षालयों की हालत में सुधार किया जाना चाहिए. मेडिकल में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित समूचे महाराष्ट्र से मरीज आते हैं. निर्धन व जरूरतमंद होने से प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की क्षमता नहीं होती. सरकार द्वारा विविध तरह के विकास कार्यों के लिए निधि तो दी जा रही है लेकिन मैन पॉवर बढ़ाने पर भी ध्यान देना आवश्यक है.