Nagpur High Court
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    नागपुर. भारत मुक्ति मोर्चा ने 6 अक्टूबर को बेझनबाग मैदान पर सभा और बड़कस चौक तक रैली निकालने की घोषणा की थी. यहां तक कि इसमें 2 लाख से अधिक समर्थक शामिल होने का अनुमान लगाया गया था. सभा और रैली के लिए अनुमति ठुकराए जाने के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. कानून और व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर पुलिस द्वारा अनुमति ठुकराए जाने के बाद मोर्चा ने केवल सभा लेने की मंशा जताई थी. इस पर हाई कोर्ट ने नये सिरे से आवेदन करने को कहा था.

    आदेश के अनुसार आवेदन तो किया गया किंतु इसे भी ठुकराए जाने का विरोध याचिकाकर्ता ने किया. मंगलवार की दोपहर हुई सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने सरकार और पुलिस की दलीलों को स्वीकार कर याचिका निरस्त कर दी. साथ ही धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस समारोह होने के बाद 7, 8 अक्टूबर या उसके बाद किसी भी समय सभा लेने के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता याचिकाकर्ता को दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. फिरदौस मिर्जा और सरकार तथा पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर ने पैरवी की.

    मैदान छोटा, भीड़ को संभालना मुश्किल

    सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से अदालत को बताया गया कि आदेशों के अनुसार याचिकाकर्ता ने नया आवेदन किया था किंतु उसे भी अस्वीकार किया गया. बेझनबाग में सभा के लिए आने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए यह मैदान काफी छोटा है. इससे भीड़ को संभाल पाना संभव नहीं होगा. इसके अलावा चूंकि धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और दशहरा के कार्यक्रम को देखते हुए पूरे शहर में कानून-व्यवस्था के लिए पुलिस बंदोबस्त लगा हुआ है. ऐसे में केवल इस कार्यक्रम के लिए पुख्ता पुलिस फोर्स उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. फिरदौस मिर्जा ने कहा कि चूंकि सभा की अर्जी भी ठुकराई गई है. अत: मेरिट के आधार पर याचिका पर सुनवाई जरूरी हो गई है किंतु अदालत ने आदेश जारी कर याचिका ही निरस्त कर दी.