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प्रतीकात्मक तस्वीर

  • हाई कोर्ट ने सम्पत्ति जब्ती के मामले में दिया आदेश

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नागपुर. निवेशकों के साथ ठगी, धोखाधड़ी के कथित मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण के जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत सम्पत्ति के हस्तांतरण या रजिस्ट्री पर किसी तरह का निर्णय नहीं लेने का पत्र सिविल लाइन्स स्थित सब- रजिस्ट्रार कार्यालय को भेजा. इसी पत्र पर आपत्ति जताते हुए भंवरलाल सारडा ने  हाई कोर्ट में फौजदारी याचिका दायर की.

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी को स्वतंत्रता देने की आवश्यकता जताते हुए याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. अवधेश केसरी और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एसडी सिरपुरकर ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि पुलिस की आर्थिक अपराध अन्वेषण टीम के जांच अधिकारी ने 29 नवंबर 2012 को अनुरोध पत्र भेजा था जिसे चुनौती दी गई.

नियमों के अनुसार अब तक जब्ती नहीं

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. केसरी ने कहा कि जिस सम्पत्ति को लेकर सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को अनुरोध पत्र भेजा गया वह सम्पत्ति अब तक नियमों के अनुसार वास्तविक रूप में जब्त नहीं की गई है. अत: रजिस्ट्रार को भेजा गया पत्र कानूनन अवैध है. सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि फिलहाल पूरे मामले की जांच चल रही है. जांच के दौरान कौनसी सम्पत्ति और क्या उजागर होता है, यह कहा नहीं जा सकता है. यदि जांच के दौरान पाया गया कि सम्पत्ति वैध रूप से जब्त हुई है तो जांच अधिकारी की ओर से निश्चित ही उचित समय में उचित कार्रवाई की जाएगी. वर्तमान में याचिकाकर्ता सम्पत्ति का हस्तांतरण नहीं करना चाहता है. यहां तक कि याचिका में इस संदर्भ में किसी तरह की जानकारी उजागर नहीं की गई है.

…तो जांच पर पड़ेगा विपरीत परिणाम

दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि निश्चित ही यह कोई नहीं जानता कि जांच में क्या खुलासे होंगे. यदि जांच में इस सम्पत्ति का मामला उजागर होता है तो उसे जब्त करने के तर्कसंगत कारण होंगे. अदालत ने आदेश में कहा कि यदि इस समय आर्थिक अपराध अन्वेषण के जांच अधिकारी द्वारा भेजा गया पत्र निरस्त किया जाता है तो जांच पर इसका विपरीत परिणाम पड़ेगा. इसके अलावा चूंकि याचिका में खरीददार का नाम तक उजागर नहीं किया गया है, यहां तक कि याचिकाकर्ता संबंधित सम्पत्ति का हस्तांतरण नहीं कर रहा है, अत: उसे इस पत्र से कोई अंतर नहीं पड़ेगा. सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका ठुकरा दी.