नागपुर. क्रेडिट कार्ड के जितने फायदे हैं, उससे कहीं ज्यादा नुकसान भी हैं. यदि इसका इसका इस्तेमाल पूरी सावधानी से न किया जाए तो एकाउंट से मेहनत की कमाई फुर्र हो सकती है. आज इससे धोखाधड़ी काफी अधिक बढ़ती जा रही है. ठगबाज बड़ी चालाकी से फोन करके लोगों को अपने झांसे में लेकर महत्वपूर्ण जानकारी लेकर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. कई बार कार्डधारकों को बैंकों द्वारा सचेत भी किया जाता है कि किसी को अपनी जानकारी न दें. बावजूद इसके लोग ठगबाजों के जाल में फंसते जा रहे हैं.
एकाउंट से उड़ा लिए 18,000
हिलटॉप के से जुड़ी बस्ती में रहने वाले प्रमोद देशमुख ने बताया कि उनकी चाची ने क्रेडिट कार्ड के लिए किसी तरह से कोई अप्लाई नहीं किया था. उसके बाद भी कंपनी ने क्रेडिट कार्ड बाकायदा नाम के साथ घर में भेज दिया. उनका एसबीआई का क्रेडिट कार्ड है लेकिन वह क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करतीं और इसकी सालाना फीस भी उनके लिए काफी ज्यादा है. इस वजह से इस कार्ड को ब्लॉक करवाने के लिए कस्टमर केयर से बात हुई. इसके लिए उनके मोबाइल पर फोन आया. फोन पर एक युवती ने कहा कि वह बैंक की तरफ से बोल रही है. साथ ही उनसे बैंक से जुड़ी सभी जानकारी और ओटीपी ले लिया लेकिन जब स्टेटमेंट चेक किया तो उसी दिन एकाउंट से 18,000 रुपये गायब हो गये थे. इसके लिए उन्होंने जब बैंक जाकर पता किया तो वहां से बताया कि बैंक की ओर से कोई फोन नहीं किया गया. इसके बारे में बैंक को कोई जानकारी नहीं है. बैंक द्वारा यह कहने के बाद उन्हें पता चला कि वे ठगी के शिकार हो गईं.
युवतियों का सहारा ले रहे हैं जालसाज
साइबर सेल में आने वाली शिकायतों के अनुसार ज्यादातर मामलों में ठगी का ट्रेंड लगभग एक जैसा है. इन शिकायतों में जालसाजों को क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी पहले से पता रहती है. धोखाधड़ी के लिए कॉल करने वालों में ज्यादातर युवतियां शामिल रहती हैं जिससे ग्राहकों को लगता है कि कॉल उनके बैंक की तरफ से आया है और आसानी से लोगों को वह अपने झांसे में ले लेती हैं. लोगों को अपनी बैंक व ओटीपी की जानकारी किसी को भी नहीं देनी चाहिए.
पीछे लगते हैं एजेंट
शॉपिंग मॉल हो या पेट्रोल पम्प, क्रेडिट कार्ड कंपनियों के एजेंट लोगों के पीछे लग जाते हैं. कई बार उन्हें न बोलने के बाद भी वे जबरदस्ती लोगों को क्रेडिट कार्ड के फायदे बताते हैं जिससे कई बार लोग इनके चक्कर में आ जाते हैं और क्रेडिट कार्ड का फॉर्म भर देते हैं लेकिन बाद में उनके लिए इसकी फीस सालाना फीस उनके दायरे से बाहर हो जाती है. इसका अनावश्यक बोझ या कर्जा व्यक्ति पर बढ़ता चला जाता है.