Nagpur High Court
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नागपुर. भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून के तहत झूठा फंसाए जाने का दावा करते हुए डब्ल्यूसीएल के सब-एरिया मैनेजर सुधांशु श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रोहित देव और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने निचली अदालत में चल रही फौजदारी सुनवाई पूरी होने तक विभागीय जांच (डीई) पर रोक लगाने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. प्रकाश नायडू, अधि. जोसेफ बैस्टीयन और अधि. सुरभि नायडू ने पैरवी की. अधि. नायडू ने कहा कि फौजदारी मामले में याचिकाकर्ता को भी आरोपी बनाए जाने के बाद कोल इंडिया लि. की ओर से याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई. 

वाहन छोड़ने रिश्वत मांगने का आरोप

अधि. नायडू ने कहा कि डब्ल्यूसीएल परिक्षेत्र से वाहन छोड़ने के लिए रिश्वत मांगे जाने का आरोप याचिकाकर्ता पर लगाया गया है. शिकायत मिलने के बाद एसीबी की ओर से जाल बिछाया गया जिसके बाद याचिकाकर्ता और एक स्थानीय व्यक्ति के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की गई. चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई, अत: डब्ल्यूसीएल ने विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए. इसके लिए अधिकारी की नियुक्ति की गई. याचिकाकर्ता को इस मामले में नोटिस भी जारी किया गया. 

दोनों जगह एक जैसे गवाह

अधि. नायडू ने कहा कि विभागीय जांच में जिन लोगों को गवाह बनाया गया है, उन्हीं लोगों को गवाह के रूप में फौजदारी सुनवाई में भी बयान दर्ज कराने हैं. दोनों जगह एक जैसे ही गवाह हैं. चार्जशीट में इन लोगों के गवाह के रूप में नाम दर्ज हैं. इस तरह से फौजदारी सुनवाई से पूर्व विभागीय जांच में गवाहों के बयान दर्ज कराने से याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है. यदि विभागीय जांच में गवाहों के बयान पहले दर्ज किए गए तो याचिकाकर्ता को भी अपने बचाव का खुलासा करना होगा. ऐसे में निचली अदालत में होने वाली फौजदारी सुनवाई पर असर होगा. सुनवाई के दौरान डब्ल्यूसीएल की पैरवी कर रहे वकील ने याचिकाकर्ता की दलीलों का पूरजोर विरोध तो किया किंतु अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.