Nagpur High Court
File Photo

  • माओवादी साईंबाबा के मामले में HC के आदेश

Loading

नागपुर. नक्सली गतिविधियों के लिए जेल में बंद दिल्ली के प्रोफेसर एवं माओवादी जी.एन. साईंबाबा और अन्य की ओर से गुरुवार को फिर एक बाद जमानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान बताया गया कि हाई कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक डेटा याचिकाकर्ता को भी उपलब्ध कराने के रजिस्ट्री को आदेश तो दिए लेकिन इलेक्ट्रॉनिक डेटा अब तक उपलब्ध नहीं हुआ. जिस पर न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जी.ए. सानप ने कहा कि रजिस्ट्री को इलेक्ट्रॉनिक डेटा उपलब्ध हो चुका है. यहां तक कि रजिस्ट्री को डेटा उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए जा चुके हैं. नेशनल इन्वेस्टिंग एजेन्सी को इलेक्ट्रॉनिक डेटा उपलब्ध कराते समय उचित प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन करने के आदेश भी दिए. उल्लेखनीय है कि मुंबई स्थित नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने 26 अगस्त 2020 को ही शपथपत्र दायर किया था. जिसमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा की सर्टिफाइड कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की गई थी.

मुंबई में लंबित मामले के लिए जरूरी

गत सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि मुंबई में एक मामला लंबित है. जिसकी सक्षम पैरवी करने के लिए एनआईए को इन सबूतों की आवश्कता है. हालांकि 2 वर्ष पूर्व ही अधिकृत इलेक्ट्रॉनिक डेटा के सबूत देने की मांग की थी. किंतु अब तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधि. दवे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के तौर पर सबूतों का कुछ अंश अब तक प्राप्त नहीं हो पाया है. जबकि ट्रायल कोर्ट की ओर से भेजे गए रिकार्ड एंड प्रोसिडिंग के साथ इन्हें भेजा जाना चाहिए था. 

इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को खंगालना आवश्यक

सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील वरिष्ठ अधि. दवे ने कहा कि इन इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को खंगालना आवश्यक है. साथ ही पूरे रिकार्ड का भी एक बार पुन: अध्ययन करना है. जिससे इस मामले का उचित निपटारा हो सकेगा. सुनवाई के बाद अदालत ने गड़चिरोली न्यायालय को सभी दस्तावेजों के साथ डेटा आदि उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे. गत सुनवाई के दौरान प्रशांत सत्यनाथन ने कहा कि माओवादी गतिविधियों में याचिकाकर्ताओं के शामिल होने के सरकार के पास न केवल दस्तावेजी सबूत है, बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है. जिसे अदालत के समक्ष रखा जा सकता है.