नागपुर. दुबई में होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय गल्फ फूड फेयर में जाना आवश्यक है किंतु एक घटना के अनुभव को देखते हुए हवाई अड्डे पर रोके जाने की संभावना है. इमरजेंसी में जाने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिका में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को भी प्रतिवादी बनाया गया किंतु अदालत ने बैंक को बाद में नोटिस जारी करने के संकेत दिए. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद जायसवाल और अधि. आरजी बजाज तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय विभाग की ओर से अधि. एन. देशपांडे ने पैरवी की.
पिता को रोकने की हुई है घटना
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधि. जायसवाल ने कहा कि एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन विभाग द्वारा विदेश यात्रा पर जाते समय रोके जाने की पूरी संभावना है. इस संभावना के पीछे एक घटना है जो मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर याचिकाकर्ता के पिता के साथ हुई थी. पिता एनबी इंडस्ट्रीज के निदेशक हैं जिन्हें विदेश जाते समय इमीग्रेशन विभाग द्वारा रोक दिया गया. अब दुबई में 20 से लेकर 24 फरवरी के बीच अंतरराष्ट्रीय गल्फ फूड फेयर होने जा रहा है. जहां याचिकाकर्ता को जाना है. यहां तक कि 19 फरवरी को जाना तय हो गया है. अति आवश्यक होने के बाद भी जाना मुश्किल दिखाई देने के कारण मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है.
इमीग्रेशन को लागू नहीं RTI
स्थिति को स्पष्ट करने के लिए इमीग्रेशन विभाग से कुछ जानकारी मांगी गई थी. आरटीआई एक्ट के तहत विभाग को आवेदन किया गया था जिसमें उसके विदेश जाने पर किसी तरह की पाबंदी है या नहीं, इसकी जानकारी मांगी गई थी. इस पर विभाग ने आरटीआई एक्ट के प्रावधानों से इमीग्रेशन प्राधिकरण को अलग रखे जाने का हवाला देते हुए जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया. सुनवाई के बाद अदालत ने मामले की आवश्यकता को देखते हुए नोटिस जारी कर 14 फरवरी तक जवाब देने के आदेश प्रतिवादियों को दिए.