Nagpur High Court
File Photo

    Loading

    नागपुर. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा 27 मई 2016 को आदेश जारी कर ब्लैक लिस्टेड किया गया था. इसी आधार पर अब टेंडर की प्रक्रिया में अयोग्य घोषित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए मेसर्स अभिजीत इंटेलिजेन्स सिक्योरिटी द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

    याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश जोशी ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय, सेंट्रल साइट्रस रिसर्च इंस्टीट्यूट, ईपीएफओ और विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि नागपुर स्थित सेंट्रल साइट्रस रिसर्च इंस्टीट्यूट में सप्लाई ऑफ मैनपावर के नाम पर कर्मचारियों की सप्लाई के लिए 20 सितंबर 2022 को टेंडर का विज्ञापन जारी किया गया था. 

    सुनवाई का नहीं दिया था मौका

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. तुषार मंडलेकर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2011 से 2013 के बीच ईपीएफओ में 5.89 लाख रुपए का भुगतान नहीं किए जाने के कारण हिन्दी विश्वविद्यालय ने 27 मई 2016 को ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश जारी किया था. याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका दिए बिना ही यह आदेश जारी किया गया.

    केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 2 नवंबर 2021 को आदेश जारी किया है जिसके अनुसार 2 वर्ष बाद इस तरह से ब्लैक लिस्टिंग करने का आदेश कोई महत्व नहीं रखता है. इसके अलावा ईपीएफओ ने 24 दिसंबर 2014 को 3.21 लाख रुपए भरने के आदेश दिए थे. 24 मार्च 2015 को डीडी के माध्यम से इस निधि का भुगतान किया गया है.

    कारण बताओ नोटिस भी नहीं

    अधि. मंडलेकर ने कहा कि वास्तविक रूप में विश्वविद्यालय ने ब्लैक लिस्ट करने का आदेश जारी नहीं करना चाहिए था. सुको द्वारा एक याचिका में दिए गए फैसले के अनुसार यदि सुनवाई का मौका दिए बिना या फिर कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना इस तरह का आदेश जारी करना गैरकानूनी है. इसे देखते हुए याचिकाकर्ता को टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.