Nagpur High Court
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  • WCL में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

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नागपुर. नौकरी देने के नाम पर ठगी होने के बाद अमित कोवे ने आत्महत्या कर ली. इस मामले में 13 जून को धंतोली पुलिस ने  एफआईआर दर्ज की. इसी तरह से केलवद पुलिस थाना में भी मामला दर्ज किया गया था जिसके बाद पुलिस ने कड़बी चौक क्लार्क टाउन निवासी राकेश खुराना और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया. हाई कोर्ट से धंतोली के मामले में तो खुराना को अंतरिम राहत मिली थी, किंतु केलवद मामले में उसे जमानत देने से कोर्ट ने इनकार कर आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए थे.

खुराना ने पत्नी बीमार होने का कारण देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने 23 अगस्त तक राहत तो दी किंतु भविष्य में किसी भी कारणवश राहत नहीं मिलने के सख्त आदेश भी जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. जेएम गांधी और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एसडी सिरपुरकर ने पैरवी की.

58 लोगों से धोखाधड़ी

बताया जाता है कि महावितरण कंपनी में कार्यरत ऊंटखाना निवासी मोहन गजबे से उनके 2 बेटों को नौकरी लगवाने के लिए खुराना ने मोटी रकम ली थी. इसी तरह से गजबे के माध्यम से 58 लोगों ने अपने परिवार के सदस्य को वेकोलि में नौकरी दिलाने के लिए खुराना को लगभग 3 करोड़ रु. दिए. सभी को कोल इंडिया और मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के फर्जी दस्तावेज दिए गए थे लेकिन किसी को नौकरी नहीं मिल सकी. इसी तरह के मामले में आत्महत्या होने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन की थी. सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर तरह के मामले दर्ज हैं. जांच अधिकारी की ओर से कड़ी जांच के बाद पुख्ता सबूत जुटाए गए हैं. अत: भविष्य की जांच के लिए अब याचिकाकर्ता की हिरासत जरूरी है.

सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता का नाम

गिरफ्तारी पूर्व जमानत पर सुनवाई के बाद अदालत का मानना था कि 5 अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जिनमें से एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली, जबकि याचिकाकर्ता को छोड़कर अन्य सभी आरोपी जेल में हैं. जांच के दौरान अधिकारी ने गवाहों के बयान दर्ज किए जिन्होंने याचिकाकर्ता के नाम का खुलासा किया है. साथ ही मामले में उसकी लिप्तता उजागर की है. यहां तक कि जिस आरोपी ने आत्महत्या की है, उसके सुसाइड नोट में भी याचिकाकर्ता का नाम है. मामले की अभी भी जांच चल रही है. इसके बाद अदालत ने याचिका ठुकरा दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने आत्मसमर्पण करने के लिए 2 सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया था जिसे अदालत ने स्वीकार किया. किंतु अब कड़े आदेश जारी किए हैं.