Nagpur High Court
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    नागपुर. जरीपटका थानांतर्गत हुई घटना के बाद जरीपटका पुलिस की ओर से पूर्व पार्षद विक्की कुकरेजा के खिलाफ धारा 354, 354 बी, 147, 149, 323, 506 बी के अलावा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. इस मामले में जिला सत्र न्यायालय ने कुकरेजा को जमानत प्रदान की गई. सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए पुलिस ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने याचिका में तथ्य नहीं होने का हवाला देते हुए याचिका ठुकरा दी. अदालत ने आदेश में कहा कि 27 फरवरी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार कुकरेजा की ओर से 2 अलग-अलग कथन किए गए थे. रिपोर्ट को देखते हुए पहले कथन के अनुसार किसी भी व्यक्ति की बेइज्जती करने का उसका मानस दिखाई नहीं देता है. 

    20-25 लोगों के लिए सामान्य वक्तव्य

    अदालत ने आदेश में कहा कि रिपोर्ट स्वयं इस बात को नहीं दर्शाती है कि प्रतिवादी कुकरेजा ने कोई विशेष जाति को लेकर कथन किया बल्कि उस दौरान उपस्थित 20-25 लोगों को लेकर सामान्य वक्तव्य किया दिखाई देता है जिससे शिकायत के अनुसार प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट की धारा 3 (1)(एस) लागू नहीं होती है. कानून की धारा (3)(1) के अनुसार इसमें किसी विशेष व्यक्ति को संबोधित कर वक्तव्य करने का उल्लेख किया गया है, जबकि रिपोर्ट में यह प्रदर्शित नहीं होता है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील राव ने पैरवी की. 

    सत्र न्यायालय में भी जताया था विरोध

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान भी सरकारी पक्ष की ओर से विरोध किया गया था. उस दौरान एपीपी प्रशांत साखरे ने अदालत को बताया था कि कुकरेजा भले ही घटनास्थल पर नहीं होने का हवाला दे रहा हो लेकिन जांच अधिकारी के अनुसार वह घटनास्थल पर ही उपस्थित था. यहां तक कि इसके वीडियो भी उपलब्ध हैं.

    सम्पूर्ण घटना जाति विशेष के लोगों के खिलाफ किस हेतु से हुई है इसका स्पष्ट उदाहरण है. यहां तक कि पूरी घटना कुकरेजा के कार्यालय में हुई थी. जहां जनता प्रभाग में विकास कार्यों की मांग करने पहुंची थी. सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन के वीडियो जैसे सबूत प्राप्त करना बाकी होने की जानकारी देते हुए जमानत अर्जी ठुकराने की मांग की गई थी. किंतु जिला सत्र न्यायालय की ओर से 25,000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान की थी जिसे अब हाई कोर्ट में चुनौती दी गई.