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    नागपुर. जिले में जिला परिषद की 1,000 शालाओं को डिजिटल करने का दावा विभाग द्वारा किया जा रहा है लेकिन हालत यह है कि लगातार विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है. जिले में कुल 1,515 शालाएं हैं. इनमें से 447 शालाओं में तो 20 से कम विद्यार्थी हैं. कुछ शालाओं में 1 ही शिक्षक के भरोसे काम चलाया जा रहा है. ग्रामीण भागों में भी तहसील मुख्यालयों पर कस्बों में इंग्लिश मीडियम की निजी शालाओं की भरमार हो गई है. जिप शालाएं इनसे स्पर्धा नहीं कर रहा रही हैं.

    मध्यान्ह भोजन, सेमी इंग्लिश मीडियम, डिजिटल शाला, खेल-कूद की सामग्रियां, मुफ्त गणवेश आदि योजनाएं भी अभिभावकों को अपने बच्चों को जिप शालाओं में पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पा रही हैं. हालत हर वर्ष खस्ता ही होती जा रही है क्योंकि पटसंख्या हर वर्ष गिरती जा रही है. किसी समय जिप शालाओं में पौने 2 लाख के करीब विद्यार्थी थे लेकिन आज यह 80 हजार के करीब आ गई है. बीते वर्ष हालांकि विद्यार्थियों की संख्या कुछ जरूर बढ़ी थी लेकिन वह भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती.

    750 से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त

    जिले की 1,515 जिप शालाओं में लगभग 4,000 शिक्षक कार्यरत हैं. 750 से अधिक पद रिक्त हैं जिसे भरने की कोई कवायद नहीं हो रही है. जिन शालाओं में शिक्षकों की कमी है उनमें कांट्रैक्ट बेस पर भर्ती का प्रस्ताव कुछ समय पूर्व जिप की आमसभा में पारित किया गया था. पहले चरण में 50 शिक्षकों की भर्ती का निर्णय शिक्षा समिति की सभा में लिया गया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. जिन शालाओं में 20 से कम विद्यार्थी हैं, ऐसी शालाओं की संख्या नागपुर ग्रामीण में 33, कामठी में 13, हिंगना में 34, नरखेड में 39, काटोल में 51, कलमेश्वर में 25, सावनेर में 39, पारशिवनी में 27, रामटेक में 35, मौदा में 25, कुही में 46, उमरेड में 47 और भिवापुर की 33 शालाओं का समावेश है. 

    इच्छाशक्ति का अभाव

    विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी केवल निर्माण कार्य और खरीदी के नाम पर शिक्षा विभाग के सेस फंड की निधि को खर्च करने में व्यस्त हैं. शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने, गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यही कारण है कि अभिभावक जिप की शालाओं में अपने बच्चों को पढ़ाने से कतराने लगे हैं.

    पदाधिकारियों और विभाग के अधिकारियों को बंद हो रहीं शालाओं से कोई लेना-देना नहीं है. नागपुर शहर में कुछ मनपा की शालाओं में निजी स्कूल से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं क्योंकि उसकी गुणवत्ता बढ़ाने में स्थानीय नगरसेवक, पदाधिकारी व अधिकारियों ने ध्यान दिया. उत्तर नागपुर में कपिलनगर मनपा शाला और एमएके आजाद मनपा शाला में हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं. ग्रामीण भागों में भी इसी तर्ज पर इच्छाशक्ति दिखाई गई तो सफलता मिल सकती है