Mayo Hospital

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    नागपुर. इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) के अपग्रेडेशन के तहत कैजुअल्टी और सर्जिकल कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया. आधुनिक शल्यक्रिया की सुविधा वाली इस इमारत में मरीजों का अच्छा उपचार हो रहा है. अब दूसरे चरण में प्रशासकीय विंग और ५०० बिस्तरों की क्षमता वाला मेडिसिन विंग बनाया जाना है लेकिन अब तक विंग का कार्य शुरू नहीं होने से एबीबीएस की सीटों पर असर पड़ सकता है.

    नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) के मापदंड के अनुसार एमबीबीएस की २०० सीटों होने पर 950 बेड की आवश्यकता होती है लेकिन वर्तमान में मेयो में इतने बेड नहीं है. बेड की कमी तभी पूरी हो सकती है जब मेडिसिन विंग बनकर तैयार हो जाये. मौजूदा स्थिति में यदि एनएमसी द्वारा निरीक्षण किया गया तो एमबीबीएस की करीब 50 सीटों पर तलवार लटक सकती है. दरअसल 2019 में मेयो में 50 सीटें बढ़ाई गई थी लेकिन उस वक्त एमसीआई ने साधन-सुविधाओं को अपग्रेड करने की हिदायत दी थी.

    बढ़ती जा रही लागत 

    वर्तमान में मेयो में ८८3 बेड की व्यवस्था है लेकिन प्रशासकीय स्तर पर ५९४ बेड ही मंजूर है. इसमें क्षयरोग विभाग के 2 वॉर्ड, बालरोग विभाग का वॉर्ड क्र. १, २ तथा पीआयसीयू की इमारत जर्जर होने से भविष्य में गिराने की नौबत आएगी. इस संबंध में वीएनआईटी की ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद रिपोर्ट भी दी गई है लेकिन अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है. मेयो प्रशासन की ओर से अपग्रेडेशन के तहत मेडिसिन विंग की स्वतंत्र इमारत का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया गया. 2 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है. 500 बेड के इस विंग के लिए 213 करोड़ के प्रस्ताव को अब तक प्रशासकीय मान्यता ही नहीं मिली है. देरी की वजह से अनुमानित लागत भी बढ़ती जा रही है. इसका सीधा असर एमबीबीएस की सीटों पर पड़ सकता है.

    सरकार नहीं गंभीर

    मेडिसिन विंग में कैजुअल्टी, औषध वैद्यकशास्त्र विभाग, स्त्री रोग व प्रसूति विभाग, बालरोग विभाग, त्वचारोग विभाग, श्वसन रोग विभाग, मानसिक रोग विभाग व रेडियोलॉजी विभाग आदि का समावेश होगा. 5 मंजली इमारत में सभी विभाग कार्यरत होंगे लेकिन विंग का निर्माण कब होगा, यह कहना मुश्किल है. इस दौरान यदि एनएमसी द्वारा निरीक्षण किया गया तो फिर मुश्किलें बढ़ सकती है. हालांकि मेयो प्रशासन द्वारा सतत रूप से फालोअप किया जा रहा है लेकिन सरकार ही गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही है. एक ओर जहां नये मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर कार्य किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पुराने कॉलेजों की अवस्था में सुधार के लिए तत्परता नहीं बरती जा रही है.