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    नागपुर. ओबीसी आरक्षण रद्द होने के चलते कांग्रेस, भाजपा और राकां के गटनेताओं की भी सदस्यता रद्द हो गई थी. उपाध्यक्ष पद का चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही सभी पार्टियों ने अपने गटनेता का चुनाव भी करने के लिए बैठकें ली थीं लेकिन मंगलवार को अचानक ही उपाध्यक्ष चुनाव कार्यक्रम स्थगित हो गया. पार्टियों ने बुधवार को जिप सदन के लिए अपने गटनेता का चयन करने का निर्णय लिया है.

    गटनेताओं का पंजीयन जिलाधिकारी कार्यालय में करना होता है. गटनेता के लिए तीनों ही पार्टी में कुछ सीनियर सदस्यों के नाम की चर्चा चल रही है. भाजपा के पूर्व गटनेता अनिल निधान, राकां के चंद्रशेखर कोल्हे की सदस्यता भी रद्द हो गई थी. निधान तो चुनाव हार गए और कोल्हे की सीट महिला आरक्षित होने के चलते उनकी पत्नी को उम्मीदवारी दी गई थी. अब सभी पार्टियों का गटनेता कौन होगा, यह बुधवार को तय हो जाएगा.

    कांग्रेस की आज बैठक

    उपाध्यक्ष और गटनेता के नाम फाइनल करने के लिए ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र मुलक ने 27 अक्टूबर को बैठक बुलाई है. उपाध्यक्ष पद का चुनाव रद्द हो गया लेकिन गटनेता का नाम इस बैठक में फाइनल किया जाएगा. बैठक में मंत्री सुनील केदार और नाना गावंडे भी होंगे. उपाध्यक्ष पद के लिए पूर्व उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे की पत्नी सुमित्रा कुंभारे का नाम फाइनल माना जा रहा है. गटनेता की जिम्मेदारी पुरुष सदस्य को मिलती है या महिला को यह देखने वाली बात होगी. सदस्यों का कहना है कि पुरुष सदस्य को गटनेता पद की जिम्मेदारी देनी चाहिए. 

    भाजपा में कारेमोरे को मौका

    उप चुनाव में भाजपा के पूर्व गटनेता अनिल निधान की हार हुई है. वे तो सदन से ही बाहर हो गए हैं. उनकी अनुपस्थिति में 9 महीने से व्यंकट कारेमोरे उप गटनेता पद की जिम्मेदारी निभा रहे थे. भाजपा के 14 सदस्यों में वही सीनियर सदस्य हैं जिसके चलते उनके नाम को लगभग फाइनल समझा जा रहा है. वैसे कैलास बरबटे, आतिश उमरे का नाम भी चर्चा में है. भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद गजभिये ने सदस्यों की बैठक लेकर सभी के विचार जाने हैं. कोर कमेटी ने बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से चर्चा की है. सूत्र ने दावा किया है कि कारेमोरे को ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन अधिकृत घोषणा बुधवार को ही की जाएगी. 

    राकां से बंग

    राकां गटनेता के लिए दिनेश बंग का नाम फाइनल बताया जा रहा है. फिलहाल पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के सक्रिय राजनीति से दूर होने के चलते जिम्मेदारी पूर्व मंत्री रमेश बंग पर आ गई है जिसके चलते राकां गटनेता पद की जिम्मेदारी दिनेश बंग को मिलने की चर्चा है.