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    नागपुर. मनपा का प्रतिवर्ष का आम बजट भले ही 3,000 करोड़ के करीब पहुंच चुका हो लेकिन इसमें विशेष रूप से शिक्षा के विस्तार और विकास पर कितना खर्च होता है यह खोज का विषय बना हुआ है. वर्तमान में भले ही अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का बोलबाला हो लेकिन सरकारी तंत्र हाथ में होने के बाद भी मनपा अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की रेस में फिसड्डी साबित हो रही है.

    मनपा के वरिष्ठ अधिकारियों में इच्छाशक्ति के अभाव को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार आरोप लगाए जाने के बाद सिटी में अंग्रेजी माध्यम के 2 मनपा स्कूलों की शुरुआत की गई. इसके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं लेकिन इस सिलसिले को आगे बढ़ाने में किसी की भी रुचि दिखाई नहीं दे रही है. यही कारण है वर्षों बाद भी अंग्रेजी माध्यम के केवल 2 ही स्कूलों में पढ़ाई जारी है. 

    खंडहर हो रहीं इमारतें, घटती जा रही छात्र संख्या

    उल्लेखनीय है कि मनपा की 112 माध्यमिक और 29 उच्च माध्यमिक शालाएं हैं. सिटी के प्रत्येक क्षेत्र में मौके की जगहों पर स्कूलों की इमारतें हैं. यहां तक कि प्रत्येक स्कूल के लिए अच्छी खासी जगह उपलब्ध है. वर्तमान परिवेश में अंग्रेजी माध्यम का बोलबाला होने से अब रिक्शा चालक भी अपने बच्चे को किसी तरह से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाने की इच्छा रखता है. यही कारण है कि अब मनपा स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घटती जा रही है. संख्या घटने के कारण जहां कक्षाएं कम हो रही हैं, वहीं कमरे खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. वर्तमान में मनपा स्कूलों में 25,000 से अधिक छात्र हैं लेकिन नये छात्रों के प्रवेश अब नगण्य होते जा रहे हैं.

    प्रायोगिक तौर पर सरकार से मांगें अनुमति

    वर्तमान में शहर की कोई भी समस्या हल करने के लिए केंद्र में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राज्य में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता उपलब्ध हैं. 

    भले ही नियमों का तकनीकी पेंच हो लेकिन प्रायोगिक तौर पर मनपा स्वयं के बल पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-एक अंग्रेजी स्कूल शुरू करने की कवायद जरूर कर सकती है. 

    कुछ समय पहले, इसकी घोषणा की गई थी किंतु इन स्कूलों को निजी संस्थाओं के माध्यम से चलाने का निर्णय लिया गया. जो वर्तमान में केवल केजी की शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रही है. 

    सिटी में जीएम बनातवाला और एकात्मतानगर के फुल अंग्रेजी स्कूल की तर्ज पर अन्य हिस्सों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. 

    नियुक्तियों पर लगा है ब्रेक

    जानकारों के अनुसार मनपा में जिस तरह से स्कूल बंद होते जा रहे हैं उसी तरह शिक्षकों की नियुक्तियों पर भी ब्रेक लग गया है. ऐसा लग रहा है जैसे मनपा शिक्षा सेवा देना ही बंद करना चाहती है. अन्यथा बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च हो सकता था. वैसे भी वेतन का अधिकांश हिस्सा राज्य सरकार की ओर से आता है. इसके अलावा स्कूली इमारतों के रखरखाव के लिए भी अनुदान मिलता है. ऐसे में अधिकारियों में ही इच्छाशक्ति का अभाव होने के कारण इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है. मनपा केवल सिटी की गंदगी, कचरा, पानी, सड़कों तक ही सीमित दिखाई दे रही है. 

    मनपा के कुल 141 स्कूल

    • 1,000 के करीब शिक्षक कर रहे काम
    • 25,000 छात्र ले रहे शिक्षा
    • केवल 2 ही अंग्रेजी माध्यम के स्कूल
    • 81 मराठी माध्यम की शालाएं
    • 34 हो चुकी हैं बंद