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    नागपुर. शहर के बाहर दूसरे राज्यों में जाने वाली निजी बसों में नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है. यहां बस संचालक थोड़े से मुनाफे के लिए लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. शहर से मप्र, छत्तीसगढ़ और हैदराबाद जाने वाली बसों में सवारियां क्षमता से अधिक भरी जा रही हैं जिससे दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है. कई बार यात्री इस मामले में आपत्ति भी करते हैं तो उनकी बात को अनसुना कर दिया जाता है. 

    बता दें कि कोरोना काल को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने बसों में सवारियां ले जाने को लेकर सख्त नियम बनाए थे जिसका मकसद यात्रियों को उनकी मंजिल तक सुरक्षित पहुंचाना था. तीसरी लहर की समाप्ति के बाद अब बस संचालक भी बेलगाम हो गए हैं. उनकी मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि वे मुनाफे के लिए ज्यादा से ज्यादा सवारियों को लेकर जा रहे हैं.

    इनमें क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जा रहा है. सबसे ज्यादा शिकायतें मप्र, छत्तीसगढ़ और हैदराबाद की बसों से आ रही हैं. नागपुर गणेशपेठ बस स्टैण्ड परिसर से निकलने वाली निजी बसों में यात्रियों की संख्या क्षमता से अधिक रहती है. आरटीओ और यातयात पुलिस भी इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं.    

    पूरा किराया देने पर भी सीट नहीं 

    इन बसों में सीट को लेकर यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ बस संचालकों के झगड़े प्रतिदिन होते हैं. निजी बस चालक यात्रियों से सीट के पैसे तो लेते हैं लेकिन जब यात्री को सीट नहीं मिल पाती तो बीच रास्ते में ही झगड़े शुरू हो जाते हैं. कई बार तो यात्रियों को बीच रास्ते में उतरना पड़ता है. वहीं कई बार मजबूरी में यात्रा करनी पड़ती है. इस मामले में शिकायत करने के बाद भी संबंधित अधिकारी इन बस संचालकों पर लगाम नहीं लगाते. सूत्रों की मानें तो ज्यादातर बसें राजनेताओं की चलती हैं इसलिए इन पर कार्रवाई नहीं होती.