स्टाम्प पेपर के लिए मारामारी, तहसील कार्यालय में बेकाबू भीड़

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    • 500 रु. के स्टाम्प पेपर की किल्लत
    • 110 रु. में बेचा जा रहा 100 रु. का पेपर

    नागपुर. जमीन की खरीद-फरोख्त हो या फिर कोई भी दस्तावेज तैयार करने के लिए स्टाम्प पेपर की आवश्यकता होती है. स्टाम्प पेपर उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से स्टाम्प वेंडर की अधिकृत रूप से नियुक्ति की गई है. एक ओर 500 रु. के स्टाम्प पेपर की किल्लत तो दूसरी ओर सोमवार को स्टाम्प वेंडर की कमी के चलते स्टाम्प पेपर के लिए तहसील कार्यालय में मारामारी मची हुई थी.

    एक ओर सुबह से ही घनघोर बारिश तो दूसरी ओर खड़े रहने के लिए पर्याप्त टीन के शेड उपलब्ध नहीं होने के बावजूद जनता बेबसी से स्टाम्प खरीदी के लिए तमाम परेशानी झेलती दिखाई दी. आलम यह था कि मजबूरीवश लोगों को 100 रु. का स्टाम्प पेपर 110 रु. में भी लेना पड़ा. जिसे लेकर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई. पीड़ितों ने जिला प्रशासन से इस समस्या पर ध्यान देकर जल्द समस्या सुलझाने की मांग की.

    स्टाम्प पेपर के लिए भीगते रहे लोग

    सूत्रों के अनुसार सोमवार के तड़के से ही झमाझम बारिश होने के कारण सिटी की कई सड़कें जलमग्न हो चुकी थी. यहां तक कि कई सड़कों पर पानी भर जाने के कारण कार्यालयों, दूकान, स्कूल और कॉलेज जाने वाले लोग अपने गंतव्य तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे थे. इसका असर जिलाधिकारी कार्यालय स्थित तहसील कार्यालय की कार्रवाई पर भी देखा गया.

    सूत्रों के अनुसार फिलहाल एमबीबीएस और इंजीनियरिंग में प्रवेश का काल चल रहा है. इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए कई तरह के दस्तावेज तैयार करने जरूरी होते हैं. जिनके लिए स्टाम्प पेपर की आवश्यकता होती है. यहीं कारण है कि भारी बारिश में तमाम समस्या के बावजूद लोग तहसील कार्यालय पहुंचे थे लेकिन दोपहर 12 बजे तक तहसील कार्यालय में केवल 2 ही स्टाम्प वेंडर पहुंचे थे. इन दोनों के पास स्टाम्प पेपर खरीदी के लिए भारी भीड़ जमा हो गई. टीन के शेड से टपकते बारिश के पानी में भीगते हुए लोग स्टाम्प पेपर खरीदी में जुटे रहे. 

    सप्ताह में केवल 2 बार मिलते हैं स्टाम्प पेपर

    नियमों के अनुसार विभाग की ओर से सप्ताह में केवल 2 बार ही स्टाम्प पेपर आवंटित किए जाते हैं. ऐसे में यदि बीच में ही स्टाम्प पेपर खत्म हो जाए तो वेंडर कुछ नहीं कर सकते हैं. इसके लिए विभाग को ही कोई हल निकालना होगा. स्टाम्प वेंडर अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित स्टाम्प पेपर लेकर लोगों को उपलब्ध कराते ही है. इसमें वेंडर की कोई गलती नहीं है.

    स्टाम्प वेंडर

    खत्म कर दें स्टाम्प पेपर की अनिवार्यता

    • पीड़ित का कहना था कि आवेदन पत्र, प्रतिज्ञा पत्र, करारनामा, रजिस्ट्री, सरकारी और गैर सरकारी दस्तावेज के लिए सरकार की ओर से अलग-अलग राशि के स्टाम्प पेपर की आवश्यकता निर्धारित की गई है. 
    • इसके बिना कोई दस्तावेज तैयार ही नहीं हो सकते हैं. यहां तक कि स्टाम्प पेपर के बिना दस्तावेजों की अहमियत ही नहीं है. स्टाम्प पेपर से सरकार को राजस्व मिलता है लेकिन इसकी किल्लत को देखते हुए सरकार राजस्व शुल्क के रूप में सीधे राशि भी ले सकती है. 
    • दस्तावेजों पर संबंधित विभाग की ओर से वसूली गई राशि की सरकारी मुहर लगा दी जानी चाहिए. जिससे समस्या हल हो सकती है. इससे समय की बचत भी होगी. लोगों का मानना था कि स्टाम्प पेपर खरीदते समय स्टाम्प वेंडरों द्वारा रजिस्टर पर खरीददारों के नाम, हस्ताक्षर और सरकारी सील पर कुछ जानकारी लिखना होता है. इसके लिए भी काफी समय बर्बाद होता है. जिसे बचाया जा सकता है.