Nagpur ST Bus Stand
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    • 2,492 में से करीब 1,100 कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर

    नागपुर. नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर गए एसटी कर्मचारियों ने सरकार के उस आदेश को ठेंगा दिखा दिया है जिसमें सभी से ड्यूटी पर लौटने की अपील की गई थी. इस दौरान सरकार ने वायदा किया था कि वो किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी. इसके बाद भी करीब शहर के करीब 1100 कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं.

    सरकार और एसटी कर्मियों के बीच सुलह न होने से ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवस्थाएं लड़खड़ा गई हैं. इसका सीधा फायदा मिल रहा है निजी बस संचालकों को. वे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से मनमाना किराया वसूल कर अपनी जेबें भर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो जब ग्रामीण रूटों पर एसटी महामंडल की बसें चला करती थीं तब निजी बसों की संख्या 200 के आसपास हुआ करती थी लेकिन बीते 5 महीने में यह संख्या 400 के आसपास पहुंच गई. यह आंकड़ा तो बड़ी बसों का है.

    इसके अलावा तालुका स्तर पर चलने वाली बसों की संख्या की दो सैंकड़ा के आसपास बताई जा रही है. निजी बसों का बढ़ता आंकड़ा किसी बड़ी अनियमितता की ओर इशारा कर रहा है. हालांकि सरकार ने अब सख्त रुख अपनाते हुए कड़ी कार्रवाई की ओर इशारा किया है. इससे कुछ कर्मचारी नौकरी पर लौटने लगे हैं लेकिन हड़ताल पर गए 80 प्रतिशत कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर अड़े हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक वे हड़ताल पर डटे रहेंगे. 

    430 में से 167 बसें चल रहीं

    एसटी महामंडल के पास 430 बसों का बड़ा नेटवर्क है. इन बसों को चलाने के लिए महामंडल ने करीब 2,492 कर्मचारियों की नियुक्ति की लेकिन शासन में विलयीकरण के चलते फिलहाल 1,100 कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं. इनमें 36 संविदा कर्मचारियों ने शुक्रवार को नौकरी पर वापसी की. पिछले मार्च के महीने में 129 कर्मचारी नौकरी पर लौट चुके हैं. अधिकारियों का कहना है कि जो कर्मचारी नौकरी पर नहीं लौट रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार अब कड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है. 

    आखिर कहां से आ रहा है खर्चा

    सूत्रों के अनुसार एसटी कर्मचारियों की हड़ताल अब सवालों के घेरे में आने लगी है क्योंकि जो कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं, उनको तनख्वाह मिले 5 महीने से ज्यादा का समय हो गया है. ऐसे में यहां सवाल उठ रहे हैं कि खुद को आर्थिक रूप से कमजोर बताने वाले ये लोग परिवार का खर्चा कहां से चला रहे हैं, इन सवालों के जवाब भी अब सरकार तलाशने में लगी है. क्योंकि कर्मचारियों की हड़ताल का सीधा फायदा निजी बस संचालकों को मिल रहा है. अब यह बात किसी से छुपी नहीं है.

    167 बसें चलाई गईं

    एसटी महामंडल ने गुरुवार को 167 बसों का संचालन किया. इन बसों में गणेशपेठ – 36, इमामवाड़ा 37, घाट रोड-36, उमरेड-5, सावनेर-13, वर्धमाननगर-20, रामटेक -08, काटोल -12 शामिल हैं. इन बसों ने 508  फेरियां कर 47,773.3 किलोमीटर की यात्रा की. साथ ही 22,654 लोगों ने सफर किया. शुक्रवार को 36 संविदा कर्मचारियों के नौकरी पर लौटने से अब अधिकारीयों का दावा है कि आगामी दिनों में बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बस सुविधा शुरू करने का प्लान है. जिससे आमजन को राहत मिल सके. 

    सख्त एक्शन के मूड में सरकार 

    आज 36 कर्मचारियों ने जॉइन किया है. 2490 में से करीब 1100 कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं. शासन ने इन कर्मचारियों के खिलाफ सख्त एक्शन के संकेत दिए हैं. जिस पर आगामी दिनों में अमल होने की संभावना है. 

    -नीलेश बेलसरे, विभागीय नियंत्रक, एसटी महामंडल, नागपुर