Tajbag Dargah, Tajbag Sharif, Nagpur Dargah

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    नागपुर. वर्षों से प्रशासक की देखरेख में चल रहे ताजबाग को लेकर हाल ही में जिला न्यायाधीश द्वारा ट्रस्ट के नए सदस्यों के नामों की घोषणा की गई. नियमों के विपरीत ट्रस्ट में सदस्यों की नियुक्ति होने का हवाला देते हुए मंगलवार को मोहम्मद मोबिन ताजी एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. सोमवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से मामले से संबंधित कुछ अहम दस्तावेज पेश करने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया.

    सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने एक सप्ताह का समय प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अर्थव मनोहर ने पैरवी की. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि ट्रस्ट की नई कार्यकारिणी घोषित करने से पहले सेवानिवृत्त अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की प्रशासक के रूप में नियुक्ति की गई थी.

    बिना साक्षात्कार कर दी नियुक्ति

    गत सुनवाई के दौरान अधि. मनोहर ने कहा कि याचिका पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत दायर नहीं की गई है. जबकि योजना की धारा 7 ए के तहत इसे दायर किया गया है. जिला न्यायाधीश की ओर से सभी सदस्यों की योग्यता, पुलिस जांच और साक्षात्कार का हवाला देकर सदस्यों की नियुक्ति किए जाने के आदेश जारी किए. किंतु आश्चर्य यह है कि पहले नंबर के सदस्य प्यारे जिया खान का साक्षात्कार ही नहीं हुआ है. दूसरे नंबर के याचिकाकर्ता क्रिश्चन समाज से आते हैं. उनका भी साक्षात्कार किया गया था. किंतु उन्हें अयोग्य घोषित किया गया. अयोग्यता के लिए गए कारणों पर भी आपत्ति जताई गई. आलम यह है कि ट्रस्ट का अध्यक्ष बिना साक्षात्कार नियुक्त कर दिया गया है. 

    1968 में बनी ट्रस्ट की योजना

    • सुनवाई के दौरान बताया गया कि हजरत बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट के गठन को लेकर वर्ष 1968 में योजना तैयार की गई थी. योजना के अनुसार कुछ नियम निर्धारित किए गए थे. 
    • इन्हीं नियमों के अनुसार जिला न्यायाधीश की ओर से ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की घोषणा की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि अलग-अलग वर्ग से कुल 9 लोगों की ट्रस्टी के रूप में नियुक्ति होती है. खादिम वर्ग में नियुक्ति को लेकर भी दिशा निर्देश तय किए गए हैं. इसी तरह अन्य वर्ग के लिए भी नियम है.