Water supply from tankers in 28 villages and 20 wadas
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  • 1.71 करोड़ का कर दिया भुगतान

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नागपुर. शहर में नान-नेटवर्क एरिया में जलापूर्ति के लिए अभी भी टैंकर का सहारा लिया जाता है. टैंकर से होने वाली जलापूर्ति को लेकर कई बार पार्षदों की शिकायत के बाद उन पर जीपीएस प्रणाली लगाने का निर्णय लिया गया. किंतु आलम यह है कि न तो टैंकरों के संचालन के लिए स्थायी समिति की मंजूरी ली गई और न ही इन टैंकरों पर जीपीएस प्रणाली से संचालन हो सका, जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने स्थायी समिति की मंजूरी के बिना ही 1.71 करोड़ रु. का भुगतान तक कर दिया.

सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए विभाग की ओर से पीएमएम टेक्नोलॉजी प्रा. लि. कम्पनी को 1.71 करोड़ का भुगतान करने का प्रस्ताव स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा गया है. हालांकि स्थायी समिति ने अब तक इस संदर्भ में निर्णय तो नहीं लिया गया किंतु जल्द होने वाली स्थायी समिति की बैठक में विषय पर गहमागहमी होने की संभावना जताई जा रही है. 

स्थायी समिति के सामने संकट

उल्लेखनीय है कि जीपीएस प्रणाली लगाने के लिए पीएमएम टेक्नोलॉजी कम्पनी को ठेका आवंटित किया गया था जिसके लिए कम्पनी को खर्च के रूप में प्रति टैंकर 15 रु. की दर निश्चित की गई थी. इसके पूर्व कम्पनी ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेकर 11.86 प्रतिशत अधिक दरों का टेंडर भरा था जिसके अनुसार टैंकर की प्रत्येक फेरी के लिए 16.78 रु. दर होती थी किंतु चर्चा के बाद 15 रु. की दर से काम करने की इच्छा कम्पनी ने जताई. इसी आधार पर 1.71 करोड़ का भुगतान किया गया. बताया जाता है कि स्थायी समिति की मंजूरी के बिना ही निर्णय लिया गया, जबकि अब इसे मंजूरी के लिए लाए जाने से समिति के सामने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी देने का संकट है.

एक तरह का घोटाला

राकां के पूर्व गट नेता वेदप्रकाश आर्य ने इसे एक तरह का घोटाला करार दिया. उन्होंने कहा कि अखंडित जलापूर्ति योजना पर अमल के लिए मनपा ने एनईएसएल कम्पनी बनाई थी लेकिन कम्पनी की कार्यप्रणाली विवादास्पद रही है. यही कारण है कि कम्पनी के खिलाफ सदर पुलिस थाना में अगस्त 2021 में ही शिकायत दर्ज कराई गई. शहर में जलापूर्ति और देखभाल दुरुस्ती के लिए सौंपी गई जिम्मेदारी को 10 वर्ष बीत गए हैं. इसके बावजूद टैंकर पर पैसा खर्च किया जा रहा है.