board exams
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    नागपुर. स्टेट बोर्ड द्वारा 4 मार्च से 12वीं की परीक्षा ली जाएगी. वर्षभर ऑनलाइन क्लासेस के बाद भी ऑफलाइन एग्जाम होने से छात्रों के साथ ही पालकों की भी टेंशन बढ़ने लगी है. स्थिति यह है कि ग्रामीण भागों के छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो सका. अब जितनी पढ़ाई हुई है उसे के रिवजन में छात्र जुट गये हैं लेकिन परीक्षा को लेकर छात्रों के मन में अब भी कई सवाल है. स्टेट बोर्ड 12वीं की परीक्षा के लिए करीब 12 दिन शेष रह गये हैं. जैसे-जैसे परीक्षा करीब आ रही है, वैसे-वैसे छात्रों का टेंशन बढ़ता जा रहा है. इस बार टेंशन बढ़ने की मुख्य वजह छात्रों की पूरी पढ़ाई नहीं होना है.

    ऑनलाइन क्लासेस में सभी विषयों की तैयारी नहीं हो सकी. छात्रों ने जितना भी समझा बस उसी के भरोसे परीक्षा देने की तैयारी में है. परीक्षा में 75 फीसदी सिलेबस के आधार पर प्रश्न पूछे जाएंगे. इस बार छात्रों को लिखने की प्रैक्टिस कम होने के कारण ही लिखित परीक्षा के 70 से 100 अंकों के पेपर के लिए 30 मिनट तथा 40 से 60 अंकों के पेपर के लिए 15 मिनट का समय ज्यादा दिया जाएगा. समय ज्यादा मिलने और अपने स्कूल में ही परीक्षा होने से छात्रों पर मानसिक दबाव कम रहेगा.  

    समय मिलता तो और भी अच्छी होती तैयारी  

    फिलहाल बच्चों की परीक्षा की तैयारी में पालक भी जुट गये हैं. समय कम होने और अधूरी पढ़ाई होने से पालक पूरी मदद कर रहे हैं. जिन घरों में बोर्ड के छात्र हैं, वहां पढ़ाई का माहौल देखते ही बन रहा है. बच्चे की सुबह की चाय-नाश्ता से लेकर दोपहर के खाने और रात के सोने तक विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इतना ही नहीं अभिभावकों द्वारा बच्चों का हौसला बढ़ाने का भी काम किया जा रहा है. ताकि छात्र डिप्रेशन में न जाये. भले ही बोर्ड ने ‘जहां स्कूल वहां केंद्र’ बनाया हो लेकिन परीक्षा को लेकर टेंशन तो रहना तय है.

    पालकों का कहना है कि जिस तरह से बच्चों को ऑफलाइन क्लासेस के लिए कम समय मिला, इस हालत में परीक्षा की तिथि बढ़ाई जानी थी. जिस तरह सीबीएसई द्वारा अप्रैल के अंतिम सप्ताह से बोर्ड की परीक्षा ली जा रही है, उसी तरह स्टेट बोर्ड ने भी परीक्षा की तिथि तय करना था. इससे छात्रों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय मिल जाया लेकिन सरकार अपनी जिद पर कायम रही. यह भी नहीं देखा गया कि स्कूलों द्वारा कितना सिलेबस पूरा किया गया है. यही वजह है कि पालक भी परीक्षा को लेकर चिंतित है.