RTE Admission

  • पालकों की शिकायत, स्कूल नहीं भेज रहे SMS

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नागपुर. सभी को शिक्षा (आरटीई) के अधिकार के अंतर्गत पहले राउंड में प्रवेश लेने की तिथि 11 जून बढ़ाकर 30 जून की गई है लेकिन पालकों द्वारा भारी संख्या में शिकायतें भी मिल रहीं हैं. आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो. शाहिद शरीफ़ ने बताया कि शालाओं द्वारा एक्टिविटी और अन्य गतिविधियों की फीस भरने के लिए अनिवार्य किया जा रहा है. नि:शुल्क शिक्षा होने के बाद भी अन्य फीस मांगने का कोई औचित्य ही नहीं है. वहीं दूसरी ओर कई शालाओं ने पालकों से अभी तक संपर्क भी नहीं किया. इस हालत में आवेदन की खामियों को दूर करने सहित अन्य दस्तावेज जोड़ने के लिए समय नहीं मिल पाएगा. लॉटरी लगने के बाद भी आवेदन अस्वीकृत हो जाएंगे. इससे बच्चे शिक्षा के अधिकार से भी वंचित हो सकते हैं. कोरोना की वजह से स्कूल में पढ़ाई बंद हैं लेकिन कार्यालयीन कामकाज शुरू है. अब जब पालक प्रवेश के बारे में पूछताछ करने जा रहे हैं तो उन्हें ऑनलाइन प्रक्रिया में नाम नहीं आने की बात कर लौटाया जा रहा है. जबकि शिक्षा विभाग से शिकायत करने पर अधिकारियों का कहना है कि स्कूल की ओर से संदेश भेजा जाएगा. स्थिति यह है कि लॉटरी में नाम आने और स्कूल मिलने के बाद भी प्रवेश नहीं दिये जा रहे है. शिक्षा विभाग भी पालकों की शिकायतों पर मौन साधे हुये हैं.

स्कूल को मान्यता नहीं, फिर भी बच्चों का चयन 

शिक्षा विभाग भले ही दावा करें कि आरटीई प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी है लेकिन स्थिति विपरीत बनी हुई है. शिक्षा विभाग को यह भी नहीं मालूम है कि जिले में कितनी स्कूलों को प्रवेश हेतु मान्यता दी गई है. पालक ओम सोलंकी ने बताया कि उनके बेटे का विहिरगांव की ई-पाठशाला में चयन हुआ. लाटरी में नाम आने के बाद वह स्कूल में गया लेकिन उसे लौटा दिया गया. स्कूल की मुख्याध्यापक का कहना है कि अब तक शिक्षा विभाग ने खाता मान्यता और आरटीई की मान्यता नहीं दी है. मान्यता के लिए पिछले 2 वर्ष से सतत रूप से फॉलोअप जारी है. मान्यता के लिए निकाली गई त्रुटियों के सभी दस्तावेज भी विभाग में जमा किये गये. इसके बाद भी मान्यता नहीं दी जा रही है. अब जब मान्यता ही नहीं है तो फिर आरटीई के प्रवेश कैसे दिये जा सकते है. सोलंकी की तरह ही अन्य पालक भी परेशान है.