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    नागपुर. राज्य में जिप व पंस में ओबीसी सीटें रद्द होने के बाद 5 अक्टूबर को हुए उप चुनाव का परिणाम 6 अक्टूबर को आया था. उसके बाद जिला परिषद और पंचायत समितियों में उपाध्यक्ष, समिति सभापति, पंस सभापति और उपसभापति के चुनाव होने थे. नागपुर जिलाधिकारी ने सभापति और उपसभापति का चुनाव 28 अक्टूबर और जिप उपाध्यक्ष पद का चुनाव 29 अक्टूबर को किए जाने की घोषणा की थी लेकिन अचानक ही उन्होंने 26 अक्टूबर को इस संदर्भ में सरकार से मार्गदर्शन मांगने का कारण देते हुए इन चुनावों को स्थगित कर दिया था.

    चुनाव रद्द किए जाने से जिला परिषद सदस्यों व संबंधित पंस में प्रशासन के इस कदम पर रोष देखा जा रहा था. पूर्व जिप उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे ने इस निर्णय को लोकतंत्र का गला घोटने वाला बताया था. विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि अब उपाध्यक्ष व सभापति, उपसभापति पद के चुनाव 11 और 12 नवंबर यानी दिवाली के बाद होंगे. मुंबई में हुई इस संदर्भ की बैठक में यह निर्णय लिया गया है और एक-दो दिनों में इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा. उक्त कार्यक्रमानुसार 11 नवंबर को पंस सभापति-उपसभापति और 12 अक्टूबर को उपाध्यक्ष के रिक्त पद के लिए चुनाव आयोजित करने की पूरी संभावना है. 

    8 पदों के लिए होगा चुनाव

    जिले में 16 जिप सर्कल का ओबीसी सदस्यों की मान्यता सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के चलते रद्द हुई थी. वहीं इसके अंतर्गत आने वाली पंचायत समितियों के 31 सीटों पर सदस्यतों की मान्यता रद्द कर दी गई. इन सभी ओबीसी सीटों पर ओपन कैटगरी के तहत 5 अक्टूबर को उपचुनाव हुए और उसका परिणाम 6 अक्टूबर को आया. जिला परिषद में रद्द सीटों के चलते उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे, भाजपा के गट नेता अनिल निधान, राकां गट नेता चंद्रशेखर कोल्हे की सदस्यता भी हाथ से गई. चुनाव में कुंभारे और कोल्हे की पत्नियों को महिला आरक्षण के चलते टिकट दी गई थी. अनिल निधान हार गए. कुंभारे की सदस्यता रद्द होने से उपाध्यक्ष पद की कुर्सी भी खाली हो गई. वहीं पंस में 4 सभापति और 3 उपसभापति के पद भी रिक्त हो गए हैं. उपाध्यक्ष सहित कुल 8 पदों के लिए चुनाव होने हैं. 

    कार्य करने के लिए कम समय

    जिप उपाध्यक्ष पद पर तो पूर्व उपाध्यक्ष कुंभारे की पत्नी सुमित्रा कुंभारे का बैठना तय माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार, 27 अक्टूबर को पार्टी की जो बैठक हुई थी उसमें उनके नाम पर मुहर लगा दी गई थी लेकिन अचानक ही जिलाधिकारी ने सरकार से मार्गदर्शन मांगने के लिए चुनाव ही स्थगित कर दिया.

    वैसे भी अब जो नया पदाधिकारी बनेगा उसे इस कार्यकाल में काम करने के लिए महज 6 महीनों का समय ही मिलने वाला है. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता रद्द की थी जिसे 9 महीने पूरे हो चुके हैं. उपाध्यक्ष के पास बांधकाम और स्वास्थ्य समिति सभापति पद की जिम्मेदारी होती है.