Maharashtra Former Home Minister Anil Deshmukh
अनिल देशमुख (फाइल फोटो)

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नासिक: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व गृह मंत्री और राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने शनिवार को कहा कि उनके खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने वाले चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। देशमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे सरकार दो साल पहले सौंपी गई रिपोर्ट को दबा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रिपोर्ट के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की उनकी मांग स्वीकार नहीं की गई तो वह अदालत जाएंगे।

देशमुख ने दावा किया कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि उन पर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप अफवाहों पर आधारित था और इसके कोई सबूत नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस आदेश को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था।

देशमुख ने कहा कि राज्य के गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने एंटीलिया बम कांड और मनसुख हिरन हत्या मामले में कथित संलिप्तता के लिए तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और पुलिस अधिकारी सचिन वाजे सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसके बाद भाजपा ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए। देशमुख ने यह भी दावा किया कि उस समय एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने उन पर रिश्वतखोरी का आरोप लगने के बाद अपने एक ‘दूत’ के साथ एक हलफनामा भेजा था।

राज्य के पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि अगर उन्होंने इस हलफनामे पर हस्ताक्षर किए तो उन पर प्रवर्तन निदेशालय या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा छापा नहीं मारा जाएगा। देशमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हलफनामे की सामग्री चौंकाने वाली थी। मैं उन्हें उचित समय पर सार्वजनिक करूंगा। अगर मैंने इस हलफनामे पर हस्ताक्षर किए होते, तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार तुरंत गिर गई होती।” उन्होंने दावा किया, ‘‘शरद पवार और उद्धव ठाकरे इस हलफनामे का विवरण जानते हैं। मैंने (विपक्षी नेता के) दूत से कहा कि मैं पूरी जिंदगी जेल में रहूंगा लेकिन कभी किसी के खिलाफ झूठे आरोप नहीं लगाऊंगा।”

(एजेंसी)