CCTV-

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    नासिक : शहर की कानून (Law) और व्यवस्था (Order) बरकरार रखने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी (Smart City Company) द्वारा बिठाए गए सीसीटीवी (CCTV) का फीड (कंट्रोल) देने में स्मार्ट सिटी कंपनी टालमटोल करने का आरोप पुलिस प्रशासन (Police Administration) द्वारा किया गया था, जिसे स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ सुमंत मोरे ने ठुकराते हुए इस कार्य में गृह विभाग ही जिम्मेदारी होने का आरोप किया। सीसीटीवी प्रकल्प यह स्मार्ट सिटी और गृह विभाग का संयुक्त प्रकल्प होने के बाद भी गृह विभाग इस प्रकल्प के लिए अपना 50 प्रतिशत का हिस्सा देने में टालमटोल कर रहा है। फिर भी पुलिस प्रशासन स्मार्ट सिटी पर सीसीटीवी फीट देने में टालमटोल करने का आरोप कर रही है, जो गलत है। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी कंपनी और पुलिस प्रशासन में सीसीटीवी फीट को लेकर संघर्ष देखने को मिल रहा है, जो आगे क्या रंग दिखाता है? इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है। नासिक म्युनिसिपल स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन कंपनी की ओर से शहरवासियों की सुरक्षा के लिए आयसीटी प्रकल्प कार्यान्वित किया है। 

    इसके तहत शहर के 40 चौक सहित विभिन्न 834 जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने वाले है, जिसमें पुलिस विभाग के लिए 574 तो नासिक महानगरपालिका के लिए 260 कैमरे बिठाए जाने वाले है। साथ ही शहर के सभी सिग्नल परिसर में अत्याधुनिक कैमरे लगाने के साथ वायफाय स्पॉट बनाए जाने वाले है। महाआयटी द्वारा यह काम यूएसटी ग्लोबल इस कंपनी को दिया है। शहर की सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने वाला यह प्रकल्प एक साल से स्मार्ट सिटी कंपनी और ग्लोबल कंपनी के बीच शुरू विवाद से रूक गया है। दूसरी ओर यातायात पर नजर रखने के साथ अपराध नियंत्रण के लिए सीसीटीवी का फीड आयुक्तालय तक पहुंचाने के लिए एक बार फिर सड़कों की खुदाई करनी होगी। ऐसा दावा स्मार्ट सिटी कंपनी ने किया है। यह जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने दी। समय-समय पर सूचना, अपील के साथ यातायात सुरक्षा को लेकर संकल्पना रखने के बाद भी स्मार्ट सिटी ने ‘असहकार’ का नारा लगाने से पुलिस प्रशासन परेशान हो गया है, लेकिन स्मार्ट सिटी कंपनी ने पुलिस प्रशासन का यह आरोप ठुकरा दिया है। 

    ऐसी ही वस्तुस्थिति

    इस प्रकल्प के लिए महाआयटी को स्मार्ट सिटी कंपनी 100 करोड़ और गृह विभाग ने 64 करोड़ रुपए देने वाला है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने अब तक 50 करोड़ और गृह विभाग ने 14 करोड़ रुपए दिए है। पर्याप्त निधि न मिलने से ठेकेदार कंपनी ने काम बंद किया है। इसके चलते शहर में 834 में से 300 कैमरे लग पाई है। पत्र व्यवहार करने के बाद भी गृह विभाग की ओर से निधि नहीं दिया जा रहा है।

    फीड के लिए क्यों की जा रही है जल्दबाजी

    स्मार्ट सिटी के पास पुलिस ने सोशल मीडिया निरीक्षण यंत्रणा, अपराध अन्वेषण के लिए जानकारी संकलन यंत्रणा, वीडीओ कॉन्फ्रेंस की यंत्रणा, महत्वपूर्ण सिग्नल परिसर में अत्याधुनिक कैमरे, शहर के कैमरे पुलिस नियंत्रण कक्ष को जोड़ना, पुलिस स्टेशन में कैमरे सहित नागरिकों का डेटा और सुरक्षा के लिए ऐप तैयार करने की मांग की है। परंतु, गृह विभाग अपने हिस्से का निधि न देते हुए स्मार्ट सिटी के पास फीड देने की मांग कर रहा है। इसलिए पुलिस ने पहले निधि की समस्या हल करने के बाद ही स्मार्ट सिटी कंपनी के पास फीड मांगने की बात स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों ने की है। 

    फीड जोड़ने के लिए पुलिस ने स्मार्ट सिटी कंपनी को एक भी पत्र नहीं दिया है। पुलिस कमिश्नर खुद बैठक में मौजूद रहने से उन्हें पूरी जानकारी है। गृह विभाग ने अपने हिस्से का निधि रोकने के बाद स्मार्ट सिटी कंपनी ने निधि उपलब्ध कर काम शुरू रखा है।

    सुमंत मोरे, सीईओ, स्मार्ट सिटी कंपनी, नासिक