Onion Exportप्याज निर्यात पर अघोषित प्रतिबंध? निर्यात मूल्य में 800 डॉलर की वृद्धि
नासिक: जब राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं तो ऐसे में घरेलू प्याज की मांग की तुलना में, आपूर्ति घटने से एशिया की अग्रणी प्याज (Onion) मंडी कहे जाने वाले लासलगांव समेत सभी बाजार समितियों में प्याज की कीमत बढ़ (Increase) गई। थोक बाजार में प्याज की कीमत 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर जाते ही प्याज की कीमत बढ़ गई। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने देश में प्याज के बाजार मूल्य को नियंत्रित करने के लिए 31 दिसंबर तक डॉलर के संदर्भ में प्याज का निर्यात (Export) मूल्य (Price) 800 डॉलर (800 Dollars) प्रति टन तक बढ़ा दिया है। इस अघोषित निर्यात प्रतिबंध के कारण त्योहारी सीजन में प्याज उत्पादक किसानों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
देश में प्याज की कमी के कारण लासलगांव कृषि उपज बाजार समिति में पिछले 12 दिनों में प्याज की कीमत 60 फीसदी तक बढ़ गई है। जैसे ही 14 अक्टूबर को 2,870 रुपये का बाजार मूल्य 5,860 रुपये हो गया, केंद्र सरकार की नींद खुल गई और NAFED NCCF के माध्यम से खरीदे गए प्याज के बफर स्टॉक से 2 लाख टन प्याज बेचने के फैसले के 24 घंटे के भीतर ही केंद्र सरकार की नींद खुल गई और बाजार में 25 रुपये प्रति किलो के भाव से प्याज बेची गई।
केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर प्याज की निर्यात शुल्क दर बढ़ाने का फैसला किया। 400 डॉलर से 800 डॉलर की बढ़ोतरी से प्याज किसानों में इस फैसले के खिलाफ गुस्से की लहर है।
उत्पादको का ध्यान निर्णय की ओर इससे पहले केंद्र सरकार ने प्याज की बाजार कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए प्याज निर्यात शुल्क में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। प्याज उत्पादकों और व्यापारियों ने बाजार समितियां बंद कर इस फैसले का विरोध किया था। अब प्याज का निर्यात मूल्य 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक बढ़ाने के इस फैसले के खिलाफ प्याज उत्पादकों का ध्यान लगा हुआ है।
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा, प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य 800 डॉलर का मतलब है कि सरकार ने अघोषित निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। जब किसानों के प्याज को पूरे साल बाजार समिति में कीमत नहीं मिलती है, तो केंद्र सरकार किसानों की मदद भी नहीं करती है। लेकिन किसी समय प्याज की कीमत बढ़ने लगती है, तब सरकार द्वारा पूरी ताकत से प्याज की कीमत को कम करने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं। सरकार की प्याज नीति पूरी तरह से किसान विरोधी है और किसानों में सरकार के प्रति काफी नाराजगी है। अगर अब प्याज की कीमतें गिरती हैं, तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
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