दाम न मिलने से सड़क पर उत्पादक किसानों ने फेंकी सब्जियां

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    नासिक : कसमादे क्षेत्र में पिछले महीने से सब्जियों (Vegetables) के दर (Rate) में भारी कमी का दौर जारी है। गोभी, फूल गोभी, टमाटर, मेथी, मिर्ची, तरबूज, धनिया, प्याज के साथ-साथ अन्य सब्जियों को बहुत कम भाव मिलने से सब्जी उत्पादकों (Vegetable Growers) को उत्पादन खर्च भी मिलमा मुश्किल हो गया है। इस कारण उत्पादक विरोध स्वरुप अपनी सब्जियां रास्तों पर फेंक रहे हैं। 

    बाजार में भाव गिरने से किसानों पर कर्ज का बोझ और ज्यादा बढ़ गया है। बच्चों की शादी, उनकी शिक्षा, बीमारी और कृषि आय पर अन्य दायित्वों की सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आवश्यक धन को लेकर किसान खासे चिंतित हैं। कृषि जिंसों की गिरती कीमतें आर्थिक गलत गणना के पीछे मुख्य कारण हैं। हालात ये हैं कि असमानी और सुलतानी दोनों संकटों से यहां के किसान जूझ रहे हैं। कम भाव मिलने की वजह से बीज, खाद, दवाई, मजदूरी का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है। किसान द्वारा उगाई गई किसी भी फसल का कोई मूल्य नहीं है। 

    बिजली के बढ़ते भार ने किसानों को संकट में डाल दिया है

    खेती व्यवसाय एक जुआ बन चुका है। गर्मी में पानी की कमी, मानसून में भारी बारिश, सर्दियों में घने कोहरे और बीमारी सभी प्रकार की परेशानियों का सामना किसानों को करना पड़ा है। बिजली के बढ़ते भार ने किसानों को संकट में डाल दिया है। किसान कृषि में नई तकनीकों का प्रयोग कर फसलें उगा रहे हैं।  इससे पहले लागत का बोझ बढ़ रहा है। बची और उगाई गई खड़ी फसलों में हल चलाने का समय आ गया है। किसानों के बच्चे बेहतर उच्च शिक्षा कैसे प्राप्त कर सकते हैं, यह भी एक यक्ष प्रश्न है। 

    कब सरकार कृषि उपज का अच्छा बाजार मूल्य दिलाने के लिए निकलेगी। कड़ी मेहनत से उगाई गई कृषि उपज का कोई स्थायी अच्छा मूल्य नहीं मिलता है। पिछले चार-पांच वर्षों से सब्जी की फसल को अच्छा भाव नहीं मिल रहा है। बारिश के कारण भी बहुत से किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। सरकार ने पके हुए तरबूज, फल और पत्तेदार सब्जियों को बर्बाद कर दिया है।

    - बाबाजी काकड़े, किसान