Raisin kismis
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नासिक: पिछले कुछ दिनों से हो रही बेमौसम बारिश (Unseasonal Rains) से नासिक जिले (Nashik District) के अंगूर उत्पादकों के साथ ही किशमिश (Raisin) बनाने वालों को भी आर्थिक झटका लगा है। हजारों टन किशमिश के भीगने से उसका दर्जा कम हो गया है। इसके चलते उसके दामों पर भी असर हुआ है। 

निफाड़ के कसबे, सुकेणे में किशमिश बड़े तौर पर बनाया जाता है। इसके लिए परिसर में 100 से अधिक शेड हैं, जहां अंगूर सुखाए जाते हैं। किशमिश बनाने वालों ने औसतन 10 से 17 रुपए किलो अंगूर खरीदे हैं। इसके लिए निजी और सरकारी बैंकों से कर्ज लिए हैं, उसे समय पर कैसे अदा करें? इसकी चिंता में डूब गए हैं।

बारिश से हमारे साथ कई लोगों के किशमिश भीग गए हैं। इसके चलते उसकी गुणवत्ता गिर गई है। इसको अपेक्षित दाम नहीं मिलने से लगभग सभी उत्पादक परेशान हैं। ऐसे में सरकार को किशमिश उत्पादकों को मदद देनी चाहिए।

-दर्शन देशमुख, किशमिश उत्पादक

प्याज को मिल रहे कम दाम 

वहीं, अब प्याज के दाम भी नासिक में काफी कम हो गए हैं, जिससे  किसान परेशान नजर आ रहे हैं। लासलगांव, मनमाड और नासिक जिले सहित महाराष्ट्र की मंडी समिति में ग्रीष्मकालीन प्याज की आवक बढ़ी है। ऐसे में किसान को फिर वही हालत से गुजरना पड़ रहा है जहां प्याज को बिल्कुल भी भाव नहीं मिल रहा हैं। प्याज की आवक में अचानक आई तेजी से प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई हैं। पहले बेमौसम बारिश के बाद आवक में बढ़ोतरी, फिर बेमौसम बारिश और अब फिर से आवक में बढ़ोतरी, इस साल प्याज के कुछ अच्छे दिन नहीं रहे हैं।