बदली जाएगी पुरानी पाइप लाइन, 342 करोड़ की जल योजना मंजूर

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  • बढ़ती जनसंख्या को मिलेगा नई पाइपलाइन का लाभ
  • नई पाइपलाइन के लिए 95.20 करोड़ 

नासिक: महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने पिछले 5 साल से लंबित 342 करोड़ (Rs 342 crore) की जलापूर्ति योजना (Water scheme) को मंजूरी (Approved) दे दी है। अब नए पाइप लाइन का एक नेटवर्क बनाया जाएगा और पुराने और जीर्ण-शीर्ण जल चैनलों (Old pipeline) को भी बदला (Replaced) जाएगा। मनपा के जल प्रदाय विभाग ने अमृत-1 योजना के तहत नई बस्ती में वितरण व्यवस्था का नेटवर्क तैयार करने के साथ ही जर्जर वितरण चैनलों को बदलने की योजना तैयार की थी। पहली योजना 226 करोड़ रुपये की थी। मनपा को प्रस्ताव सौंपने में हुई देरी के कारण अमृत-1 का फंड खत्म होने का हवाला देकर देर से प्रस्ताव वापस भेज दिया गया। 

 

अमृत-2 मिशन की घोषणा सितंबर 2022 में की गई थी। करीब 350 करोड़ का प्रस्ताव सौंपा गया था। प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई। मनपा ने एक कंसल्टेंसी फर्म एनजेएस के माध्यम से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने प्रस्ताव को तकनीकी मंजूरी दे दी। अब राज्य सरकार से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया लागू कर वास्तविक काम शुरू किया जाएगा। महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने प्लास्टिक सामग्री का उपयोग करने पर जोर दिया था लेकिन प्लास्टिक के पानी के पाइपों में खराबी की संभावना अधिक होती है, इसलिए मनपा ने लोहे के पाइपों पर जोर दिया। मनपा की मांग को देखते हुए लोहे के पाइप के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। 

नई पाइपलाइनके लिए 95.20 करोड़ 
शिवाजीनगर, गांधीनगर जल उपचार संयंत्र का नवीनीकरण, जल उपचार संयंत्र की मरम्मत के लिए 11.12 करोड़ की लागत, चेहेडी पंपिंग से नासिकरोड जल उपचार संयंत्र तक मुख्य वितरण चैनल का प्रतिस्थापन, कार्बन नाका से रामालय जल उपचार संयंत्र तक 700 मिमी व्यास पाईपलाईन बिछाना, शिवाजीनगर, बड़ा बांग्ला, गांधीनगर पाइपलाइन को महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दी गई। पीएससी नहर के प्रतिस्थापन के लिए 179.21 करोड़, पंचवटी जल उपचार केंद्र से शक्तिनगर तक 600 मिमी व्यास की नई नहर बिछाना, नवनगर में नई नहरें बिछाने के काम को मंजूरी मिली है। 

 

प्रतिक्रिया 
यह परियोजना मार्च 2026 तक पूरी हो जाएगी। इसे प्रशासनिक स्वीकृति के लिए सरकार की उच्च प्राधिकारी समिति के पास भेजा जायेगा। 
(रविंद्र धरणकर, कार्यपालन यंत्री, जलापूर्ति विभाग)