मंत्री दादा भुसे के लिए घरेलू झटका है शिवसेना का आंदोलन: निखिल पवार

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    मालेगांव : मालेगांव महानगरपालिका (Malegaon Municipal Corporation) की ओर से वित्त वर्ष 2022-23 में पालक मंत्री दादा भुसे (Guardian Minister Dada Bhuse) के कार्यकर्ताओं ने दो पूर्व उप महापौर के नेतृत्व में नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) के पश्चिमी हिस्से में प्रशासन की ओर से फंड उपलब्ध न कराने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। 15 नवंबर को दोपहर में ताला ठोको विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर महानगरपालिका वार्ड कार्यालय में तोड़फोड़ की गई। प्रशासन के खिलाफ विरोध होना ही चाहिए, वैध तरीके से विरोध करना हर भारतीय नागरिक का अधिकार है। विरोध जीवित लोकतंत्र का प्रतीक है। इस आंदोलन में जनता के टैक्स के पैसों से बनी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कितना उचित है? ऐसा सवाल मालेगांव कर संघर्ष समिति के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता निखिल पवार ने उठाया है। पवार का कहना है कि वर्तमान में कमिश्नर भालचंद्र गोसावी को मालेगांव महानगरपालिका का प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसलिए, सरकार का महानगरपालिका प्रशासन पर सीधा नियंत्रण है। सरकार में मालेगांव के विधायक और पालक मंत्री भूसे की अहम जिम्मेदारी है। 

    पवार का कहना है कि नासिक जिले के पालक मंत्री के रूप में मंत्री भुसे ने नासिक महानगरपालिका में जाकर कमिश्नर और प्रशासक को कड़े शब्दों में समस्या का समाधान करने का आदेश दिया था। फिर वे मालेगांव महानगरपालिका के कमिश्नर को ऐसे आदेश क्यों नहीं देते? उनके कार्यकर्ताओं ने कार्यालय में तालाबंदी और तोड़-फोड़ क्यों करनी पड़ी, यह सवाल भी उठाया जा रहा है। जब आईएएस अधिकारी को महानगरपालिका के कमिश्नर के पद पर नियुक्त किया जा रहा था तो उन्हें रोक दिया गया और गोसावी को काम पर रखा गया तो क्या गोसावी पालक मंत्री की बात नहीं सुन रहे हैं? ऐसा सवाल भी पवार की ओर से उठाया गया है। कुछ दिन पहले आईपीएस अधिकारी को मालेगांव में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने तुरंत, उनकी नियुक्ति रद्द कर दी और राज्य पुलिस सेवा में अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश दिया। समाजसेवी निखिल पवार ने बताया कि    मार्च महीने में मालेगांव महानगरपालिका का बजट तैयार किया गया था, उसे भी महासभा ने मंजूरी दे दी थी। एक बार बजट स्वीकृत होने के बाद, इसे तुरंत लागू करना जरूरी होता है, लेकिन उसे तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया, जिससे विकास योजनाओं के निर्माण कार्य पर असर पड़ता है। 

    कमिश्नर गोसावी मनमानी कर रहे हैं

    विरोध प्रदर्शन वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमहापौर सखाराम घोडके, जो 40 से अधिक वर्षों से नगरसेवक के रूप में काम कर रहे हैं, ने महानगरपालिका कमिश्नर के काम करने के तरीकों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की, इससे पता चलता है कि कमिश्नर और प्रशासक गोसावी कितनी मनमानी कर रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने कई बार महानगरपालिका कमिश्नर के काम करने के तरीकों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है, लेकिन मंत्री भुसे ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी। अब जब एक बेहद जिम्मेदार व्यक्ति कमिश्नर गोसावी के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं तो इस मुद्दे को पालक मंत्री भुसे गंभीरता से लेंगे। 

    मालेगांव महानगरपालिका क्षेत्र तहत आने वाले क्षेत्रों में बहुत सी परेशानियां हैं

    निखिल पवार का कहना है कि मालेगांव महानगरपालिका की ओर से पिछले 21 वर्ष में शहर की भलाई के लिए दो से ढाई हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाने का दावा किया जा रहा गए हैं, बावजूद इसके मालेगांव महानगरपालिका क्षेत्र तहत आने वाले क्षेत्रों में बहुत सी परेशानियां हैं, जिसके कारण लोगों का सिरदर्द बढ़ गया है। करोड़ों का फंड हर वर्ष मिलता है। लेकिन वह फंड जाता कहा है, इसके बारे में किसी को सही-सही जानकारी नहीं है। काम में गुणवत्ता न होने के कारण जो भी विकास कार्य किए जा रहे हैं, वे ज्यादा दिनों तक टिके नहीं रह पाते। चूंकि कई नगरसेवक स्वयं ठेकेदार हैं और कई अधिकारी भागीदार हैं, इसलिए मालेगांव महानगरपालिका में खुले आम लूट खसोट की जा रही है।