नाशिक : बजार में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक के फुल (Artificial Flower) बिक्री लिए उपलब्ध हो रहे है। इससे एक ओर पर्यावरण (Environment) और दुसरी ओर किसानों (Farmers) को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके खिलाफ प्लास्टिक फूलों के खिलाफ फूल उत्पादक किसान राहुल पवार ने पुणे के राष्ट्रीय हरित लवाद न्यायालय (National Green Litigation Court) में याचिका दायर (Petition Filed) की है। ‘यूज एण्ड थ्रो’ इस अधिसूचना में 100 मायक्रोन से कम प्लास्टिक का उपयोग करने पर पाबंदी है। जबकि, प्लास्टिक से बने फुल 29 मायक्रोन के होने की जानकारी प्रयोगशाला के माध्यम से की गई जांच में सामने आई है। पवार की याचिका न्यायालय ने स्वीकार करते हुए पर्यावरण, वन, मौसम बदलाव मंत्रालय को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए है। कृत्रिम प्लास्टिक के फूल और विभिन्न सजावट की सामग्री बाजार में आने से पर्यावरण की समस्या गंभीर बन गई है। दूसरी ओर प्राकृतिक फूलों की मांग कम हो गई है। प्लास्टिक फुल एक बार उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक) पाबंदी कानून के तहत उपयोग के लिए अनुचित है। इसलिए उसके उपयोग पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है। न्यायालय ने इसे संमति दिखाते हुए आवेदन स्विकारा है। इसके अनुसार संबंधित विभागों को नोटिस जारी की है। जिन्हें अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने के आदेश दिए गए है।
इस प्रकार है युक्तिवाद
बाजार में कृत्रिम फुलों की बड़े पैमाने पर बिक्री हो रही है। परिणामस्वरूप फुलों के कुड़े से प्रदूषण बढ़ रही है। यह फूल पॉलिथीन और घातक सिंथेटिक रंगों से बनाए गए है। इसमें काटें हुए फुल, कुंडी के फूल की झाड़ी, खुले फुल, फुल हार, गुच्छ, टांगती टोकरिया, फुलों के तारा, फिलर, घास के बस्कन, बोन्साय, फल और सब्जियों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन फूलों का काम समाप्त होने के बाद उसका विघटन होने के लिए उसे किसी भी प्रकार के प्लास्टिक इतना ही समय लग रहा है।
पाबंदी का दूसरा चरण
उसकी क्षमता कम और मौसमी स्थिति से रंग उड़ने से पुर्नउपयोग नहीं होता। पर्यावरण, वन और मौसम मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 की अधिसूचना के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग इस पॉलीस्टीरिन सहित और अन्य वस्तु पर पाबंदी लगाई है, लेकिन कृत्रिम फूलों पर पाबंदी नहीं लगाई है। राष्ट्रीय हरित लवाद के सामने डॉ. एड. सुधाकर आव्हाड, एड़. चेतन नागरे और एड़. सिद्धि मिरघे ने शास्त्रीय मुददों के आधार पर अपना पक्ष रखा। प्लॉस्टिक पाबंदी अभियान का कानूनी पाबंदी का दूसरा चरण है। साथ ही सरकारी स्तर पर भी प्रयास शुरू है। इस संदर्भ में अगले कुछ समय चित्र स्पष्ट होगा। – (राहुल पवार, याचिकाकर्ता)।